शहर के ड्रेनेज सिस्टम को सुखना से जोड़ने को कहा
पंजाब व हरियाणा हाईकोर्ट ने यूटी प्रशासन को सुखना में पानी के लिए इस्त्रायल की तकनीक के विकल्प को अपनाने की सलाह दी है। सुखना का मौजूदा जलस्तर 1153.6 फुट है। यह जलस्तर पिछले आठ वर्षों में सबसे कम दर्ज किया गया है। सुखना पूरी तरह से बारिश पर निर्भर हैं। इस लिहाज से अच्छी बारिश ही सुखना का बचाने का एक मात्र रास्ता हैं। पर्यावरण विभाग की स्टडी के मुताबिक इस बार मानसून में अगर 700 एमएम तक बारिश होती है तो सुखना का वाटर लेवल बराबर हो जाएगा। विभाग के मुताबिक सुखना का वाटर लेवल गेट (एवरेज) 1160 फुट पर खुलता है। सुखना का लगातार गिरता जलस्तर प्रशासन के लिए एक बड़ी चुनौती बन चुका है। इस चुनौती से कैसे निबटा जाए।
शहर के ड्रेनेज सिस्टम को सुखना से जोड़ने को कहा
हाईकोर्ट ने यूटी प्रशासन को शहर के ड्रेनेज सिस्टम को सुखना से जोड़ने के लिए कहा है। ताकि बरसात में जो पानी सड़कों पर व्यर्थ हो जाता है, उसे सुखना तक पहुंचाया जा सके। शहर के ड्रेेनेज सिस्टम को सुखना से जोड़ने पर करोड़ों रुपये खर्च होंगे।
पहले पांच साल में 23 प्रतिशत सूख गई थी सुखना
सुखना का निर्माण वर्ष 1958 में हुआ थ। पर्यावरण विभाग की रिपोर्ट के मुताबिक सुखना के निर्माण से लेकर अगले पांच साल के बीच सुखना का वाटर लेवल 23 प्रतिशत तक घट गया था। उसी समय शहर के शिल्पकार ली कार्बूजिए ने प्रशासन व मौजूदा सरकार को गाद की समस्या को लेकर सचेत किया था। जिसके बाद ग्रेटर पंजाब गवर्नमेंट ने वर्ष 1963 में सुखना के संरक्षण के लिए करीब 26 स्कवेयर किलोमीटर जमीन अधिग्रहीत की थी।
करीब 700 एमएम तक कुल बारिश हो तब जाकर सुखना का वाटर लेवल सामान्य होगा, तब सुखना को सूखने का कोई खतरा नहीं।