शहर में बंदरों का आतंक इतना बढ़ चुका है कि फॉरेस्ट एंड वाइल्ड लाइफ डिपार्टमैंट के पास आमतौर पर शिकायतें पहुंचती रहती हैं। अब बंदरों को कंट्रोल करने और उन्हें पकडऩे के लिए अब डिपार्टमैंट ने विशेष टीम तैयार करने का फैसला लिया है। टीम में 7 कर्मचारी होंगे। जो न केवल शहरी एरिया में बंदरों को पकडऩे का काम करेंगे बल्कि ग्रामीण एरिया में भी विजिट करते रहेंगे।
दरअसल शहर के कई सैक्टर्स ऐसे हैं जहां लाख कोशिशों के बावजूद बंदरों का आतंक कम नहीं हो पा रहा है। अब प्रशासन ने लोगों को स्थाई तौर पर राहत देने की प्लानिंग कर ली है। जो टीम रखी जाएगी उन पर मुख्य तौर पर बंदरों को कंट्रोल करने पर ही फोकस रहेगा। बंदरों को पकड़कर सुखना वाइल्ड लाइफ सैंक्चुरी में छोड़ा जाएगा। इसके लिए डिपार्टमैंट ने शुरुआत में 15 लाख खर्च करने की योजना तैयार की है। बंदरों की सबसे अधिक शिकायतें पी.यू. और सैक्टर-7 के एरिया से पहुंचती हैं।
अब रात में भी सुनी जाएंगी शिकायतें :
बरसात का मौसम आते ही सांप मिलने की शिकायतें सबसे अधिक बढ़ जाती हैं। इस कारण डिपार्टमैंट ने विशेष तौर से एक कर्मचारी को नियुक्त करने का फैसला लिया है जो रात में शहर से वाइल्ड एनिमल्स से जुड़ी शिकायतों को सुनेगा और तुरंत संबंधित ऑफिसर या कर्मचारी तक इसकी सूचना पहुंचाएगा।
लंगूर का नहीं होगा इस्तेमाल :
बंदरों को पकडऩे के लिए कर्मचारी तो रखे जाएंगे। यह भी ख्याल रखा जाएगा कि अन्य किसी जानवर की मदद न ली जाए। इससे पहले पंजाब यूनिवर्सिटी में बंदरों को भगाने के लिए लंगूरों की मदद ली जाती थी। अब साफ तौर से निर्देश दिए गए हैं लेकिन कोई भी कर्मचारी बंदरों को भगाने और उन्हें पकडऩे के लिए लंगूरों की मदद नहीं लेगा।
ये कर्मचारी रखे जाएंगे :
-शहर और ग्रामीण एरिया में बंदरों को पकडऩे के लिए 4 कर्मचारी रखे जाएंगे।
-शहरी और ग्रामीण इलाके में वाइल्ड एनिमल्स को पकडऩे के लिए 1 कर्मचारी भर्ती होगा।
-रात के समय कंप्लैंट्स सुनने के लिए 1 कर्मचारी रखा जाएगा।