नशे के कारण बर्बाद होते परिवारों की बढ़ती संख्या को देखते हुए शादी से पहले दूल्हे का डोप टेस्ट अनिवार्य करने के सुझाव पर हरियाणा सरकार ने असहमति जताई है। प्रदेश सरकार ने कहा कि दूल्हे के लिए डोप टेस्ट अनिवार्य नहीं होना चाहिए, यह केवल कोर्ट के आदेश पर ही होना चाहिए। जबकि पंजाब सरकार ने बताया कि होशियारपुर सिविल अस्पताल में डी एडिक्शन सेंटर मौजूद है और जो अपनी इच्छा से डोप टेस्ट करवाना चाहते हैं उनके लिए यहां सुविधा मौजूद है।
इससे पहले चंडीगढ़ प्रशासन ने शादी से पहले दूल्हे के डोप टेस्ट करवाने पर सहमति जताते हुए कहा था कि यदि दूल्हा खुद तैयार है तो प्रशासन को डोप टेस्ट करवाने में कोई आपत्ति नहीं है और प्रशासन इसके लिए किट उपलब्ध करवाने को तैयार है। हाईकोर्ट ने इससे पूर्व कहा था कि सिविल अस्पतालों में क्यों नहीं ऐसी व्यवस्था की जा रही कि शादी से पहले दूल्हों का डोप टेस्ट करवाया जाए।
कोर्ट में आने वाले अधिकतर पारिवारिक विवादों में नशे का सेवन परिवारों को तोड़ने का कारण बनता है। ऐसे में शादी से पहले यह जांच लेना कि दूल्हा नशा करता है या नहीं बहुत जरूरी और परिवारों को टूटने से बचाने में मददगार साबित हो सकता है।
कमेटी ने जताई असहमति: हरियाणा
इस पर अब हरियाणा सरकार ने जवाब दाखिल करते हुए कहा है कि इस विषय को लेकर एक कमेटी गठित की गई थी। चार अधिकारियों वाली इस कमेटी ने डोप टेस्ट अनिवार्य करने पर असहमति जताई है। कमेटी ने कहा है कि हर जिले में ऐसे सेंटर स्थापित नहीं किए जा सकते जिनमें यह सुविधा उपलब्ध करवाई जाए। साथ ही यह भी कहा कि डोप टेस्ट केवल कोर्ट के आदेश पर ही करने की व्यवस्था ज्यादा सही है।