Navjot Singh Sidhu

श्री करतारपुर साहिब कोरीडोर खोलने पर बोले सिद्धू-यह मेरी कोशिश नहीं, बाबा नानक की कृपा से आई है बहार

पंजाब सरकार के स्थानीय निकाय मंत्री नवजोत सिंह सिद्धू द्वारा हाल ही में पाकिस्तान फेरी ने कई सुर्खियों को जन्म दिया। विवाद उठे और सिद्धू को अपने बोलने के अंदाज में भी थोड़ा बदलाव करना पड़ा। विरोधियों द्वारा आलोचना की गई कि सिद्धू पाकिस्तानी आर्मी चीफ को जफ्फी डालने की अपनी गलती को छुपाने के लिए गुरुद्वारा श्री करतारपुर साहिब के लांघे का मुद्दा उठा रहे हैं। विरोध यहां तक हुआ कि सिद्धू की अपनी पार्टी के भीतर से भी उनकी खिलाफत हुई, लेकिन आज सिद्धू के लिए जैसे बहार का दिन था। अपनी इस खुशी को सिद्धू ने ‘पंजाब केसरी’ के रमनजीत सिंह के साथ इस तरीके से सांझा किया कि खुशियां ही खुशियां हों दामन में जिसके, वो क्यों न खुशी से दीवाना हो जाए।

प्र. पाकिस्तान के प्रधानमंत्री इमरान खान के शपथ ग्रहण समारोह से शुरू हुई आपकी मुहिम क्या अब रंग ला रही है?

उ. देखो, मैं अपने दोस्त इमरान खान के बुलावे पर पाकिस्तान शांति और प्यार का पैगाम लेकर गया था। एक उम्मीद थी कि शायद कुछ कर सकूं। वहां के लोगों ने झोलियां भर-भर के प्यार और सत्कार दिया। साथ में यह वायदा भी मिला कि मेरे मालिक बाबा नानक के स्थान श्री करतारपुर साहिब के गुरुद्वारा साहिब के दर्शन के लिए खुला रास्ता मिलेगा, जहां से श्रद्धालु बिना वीजा लिए ही गुरुद्वारा के दर्शन कर सकेंगे।

प्र.आपकी पाकिस्तान फेरी का विरोध भी हुआ?

उ.जिन्होंने विरोध किया, मैंने उनके लिए भी लंबी उम्र की दुआ मांगी। हमें वोटों व राजनीति को धर्म से दूर रखना चाहिए। मैं सकारात्मक सोच के साथ शांति व प्यार का पैगाम लेकर गया था। पाकिस्तान के वजीर-ए-आजम इमरान खान ने उस बात का इस्तेकबाल भी किया। खान ने ही ट्वीट करके कहा था कि जो सिद्धू का विरोध कर रहे हैं, असल में वे शांति व अमन के रास्ते में रोड़े अटका रहे हैं।

प्र. तो अब आपको क्या लगता है?

उ. परमात्मा ऐसे ही करता है। बिन मांगे झोली भरता है और छप्पड़ फाड़कर देता है। आज सुबह घर पर ही बैठा था कि कई न्यूज चैनल वालों ने आ घेरा और बताया कि पाकिस्तान से ऐसी खबर चली है और पाकिस्तान सरकार के मंत्री फवाद खान ने पुष्टि की है कि पी.एम. इमरान खान ने श्री करतारपुर साहिब लांघा खोलने के संबंध में सभी स्टैक होल्डरों से बैठक की है। उसके बाद ही नोट आया है कि हम यह कोरीडोर खोलने को तैयार हैं। इससे बड़ी खुशी और इससे बड़ी बहार कोई हो नहीं सकती।

प्र. इतनी खुशी, ऐसा क्यों?

उ. इस खबर में ऐसी बात है जिसे हर सिख हिंदुस्तान के बंटवारे के बाद से लगातार अपनी अरदास में शामिल करता आया है। मेरे मां-बाप भी ऐसा ही करते रहे हैं। वो प्रतिवर्ष श्री दरबार साहिब अमृतसर और डेरा बाबा नानक जाकर यही अरदास किया करते थे कि पाकिस्तान में रह गए गुरुद्वारों के सिख संगत को खुले दर्शन-दीदार हों। अब मेरे मालिक बाबा नानक के 550वें गुरुपर्व पर कोरीडोर खोलने को तैयार है पाकिस्तान तो इससे खुशियां ही खुशियां हैं।

प्र. कैसे राजी हो गया है पाकिस्तान?

उ. देखो, श्री गुरु ग्रंथ साहिब की बानी कोई आम नहीं है। इसमें पांच वक्त के नमाजी बाबा फरीद जी की भी बाणी है। वि_ल-वि_ल कहने वाले नामदेव जी की भी बाणी है, मानवता का संदेश देने वाले कबीर जी की भी बाणी है और सिख गुरुओं की भी बाणी है। इसलिए यह सर्वमान्य व सत्कारित गुरु हैं। पाकिस्तान में भी लोग बाबा नानक व उनकी बाणी को पूरा सत्कार देते हैं, शायद यह बाबे नानक की ही रजा है कि यह काम होने जा रहा है।

प्र. इस पर आपका पहला रिएक्शन क्या रहा?

उ. मैंने पाकिस्तान के प्रधानमंत्री और मेरे जिगरी यार इमरान खान को ट्वीट करके कहा है कि आपने बहुत बड़ा काम किया है। शांति के लिए आप कुछ कदम नहीं बल्कि कई मीलों चलकर आगे आ गए हैं। मैं और मेरा रोम-रोम इसके लिए आपका जीवनभर आभारी रहेंगे।

प्र. अब आगे क्या चाहते हैं?

उ. अब मैं चाहता हूं कि भारत सरकार भी मेरी व लाखों-करोड़ों सिखों की विनती सुने और थोड़ा आगे बढ़ते हुए पाकिस्तान से इस संबंध में बात आगे बढ़ाए। मैं सी.एम. कैप्टन अमरेंद्र सिंह का भी आभारी हूं जिन्होंने विदेश मंत्री सुषमा स्वराज को पत्र लिखकर इस मुद्दे पर बात करने के लिए कहा है। उम्मीद है दोनों देशों द्वारा कोई हल निकाला जाएगा।

प्र. तो क्या मानते हैं, इमरान खान ने दोस्ती निभाई?

उ. नहीं, यह दोस्ती से कहीं आगे की बात है। यह बड़ा कदम है। दोस्ती तो दो लोगों में सीमित रहती है लेकिन यह लाखों-करोड़ों लोगों से जुड़ा मामला है। यह दो देशों के लिए शांति का पैगाम है। यह एक-दूसरे को जोडऩे वाला रास्ता है। हमें खून-खराबे से क्या मिला है इतने वर्षों से। यह शुरूआत दोनों तरफ से हो और शांति व अमन-अमान का माहौल बने तो सभी के लिए फायदेमंद है।

प्र. क्या आप मानते हैं कि अब आपके विरोधी, भले ही दूसरे दलों से हों या आपकी अपनी पार्टी से, बैकफुट पर होंगे?

उ. फ्रंटफुट-बैकफुट मेरे लिए कोई बात नहीं। यह मीडिया वाले बनाते हैं। मैं यह कहता हूं कि धर्म को राजनीति से अलग छोड़ते हुए इस पर काम करना चाहिए। मैं तो पहले ही कहता रहा हूं कि मैं तो विरोधियों की भी लंबी उम्र की कामना करता हूं क्योंकि यह मेरे बाबे नानक का काम है। मैं किसी की लकीर मिटाने नहीं, बल्कि अपनी लकीर लंबी करने में विश्वास रखता हूं, विरोधियों को जो कहना है कहते रहें। विरोधियों को जवाब परमात्मा देता है। मेरी मां कहती थी कि नीतां नूं ही मुरादां हुंदिआं ने। परमात्मा अंग-संग सहाई होकर खड़ता है।

Leave a Comment

Your email address will not be published. Required fields are marked *