साइकिल ट्रैक जिनके लिए बनाए गए हैं वह इनका इस्तेमाल नहीं कर रहे हैं। 80 किलोमीटर से अधिक रोड के साथ साइकिल ट्रैक बने हुए हैं। बावजूद इसके इनका इस्तेमाल 10 प्रतिशत साइकिल सवार भी नहीं कर रहे हैं। इसका मुख्य कारण यह है कि यह साइकिल ट्रैक चलने लायक ही नहीं हैं। ट्रैक पर कहीं बिजली खंभे हैं तो कहीं तारें लगी हैं। कहीं तो पेड़ों की शाखाएं रास्ता रोक रही हैं। ट्रैफिक पुलिस की साइकिल स्क्वैड टीम ने अपनी रिपोर्ट में यह जानकारी दी है। यह रिपोर्ट नगर निगम और यूटी प्रशासन के इंजीनिय¨रग डिपार्टमेंट को भी भेजी गई है।
दरअसल ट्रैफिक पुलिस ने साइकिल ट्रैक और साइकिल सवारों से इनके इस्तेमाल नहीं करने का कारण जानने के लिए इस साइकिल स्क्वैड का गठन किया था। यह स्क्वैड साइकिल सवारों को मुख्य मार्गो पर चलने से रोककर साइकिल ट्रैक पर चलने के लिए भेजती थी। साथ ही उनसे ट्रैक पर नहीं चलने का कारण भी पूछती थी। इन्हीं कारणों और साइकिल सवार से अनुभव व निरीक्षण के बाद यह रिपोर्ट तैयार की गई है। इस रिपोर्ट ने कहीं न कहीं इंजीनिय¨रग डिपार्टमेंट की पोल भी खोल दी है। इससे साफ है कि तेजी से साइकिल ट्रैक बनाने पर जोर दिया जा रहा है।
इस पर चलेंगे कैसे यह नहीं देखा जा रहा है। रास्ते में पड़ने वाली दिक्कतों तक को दूर नहीं किया जा रहा है। राजभवन के सामने ही साइकिल ट्रैक पर बिजली का खुला बॉक्स है। इस कारण इसके पास से गुजरना काफी मुश्किल होता है। इसी तरह से आगे इसी रोड पर कई जगह पेड़ साइकिल ट्रैक के बीच में हैं। पेड़ों की टहनियां भी कई जगह बीच में रास्ता रोके रहती हैं। इस रिपोर्ट पर एडमिनिस्ट्रेटर ट्रैफिक एडवाइजरी कमेटी की मीटिंग में चर्चा की गई। साथ ही साइकिल ट्रैक को साइकिल सवारों के लिए फ्रेंडली बनाने के लिए नगर निगम और प्रशासन को लिखा गया है। इंजीनिय¨रग डिपार्टमेंट ने करीब 18 करोड़ की लागत से 90 किलोमीटर साइकिल ट्रैक बनाए हैं। कई जगह अब भी ट्रैक बनाने का काम चल रहा है।