‘हमारे फौजियों की हत्याओं के लिए पाक सेना प्रमुख कमर जावेद बाजवा जिम्मेदार हैं। आखिर मारने के हुक्म देने वाला तो सेना का प्रमुख ही होता है, फौजी तो अपने प्रमुख के आदेशों का पालन करते हैं। जब हर दिन सरहद पर भारतीय सैनिकों को शहीद किया जा रहा है तो सिद्धू को ऐसे भावों का इजहार करने से बचना चाहिए था। इसे टाला जा सकता था। ’ ऐसा कहते हुए पंजाब के मुख्यमंत्री कैप्टन अमरिंदर सिंह ने अपने ही कैबिनेट मंत्री सिद्धू का विरोध किया। अलबत्ता पाक अधिकृत कश्मीर के राष्ट्रपति के बगल में बैठने के मामले में उन्होंने सिद्धू का बचाव भी किया। उन्होंने कहा कि हो सकता है कि सिद्धू को यह न पता हो कि उनके बगल में कौन बैठा है और बैठने का इंतजाम भी उनके हाथों में नहीं था।
लेकिन यह नहीं हो सकता है कि उन्हें बाजवा के बारे में न पता हो, क्योंकि नाम फौजी अफसरों की वर्दी पर लिखा होता है। कैप्टन ने कहा कि जहां तक सिद्धू के इमरान खान के शपथ ग्रहण में जाने की बात है, क्रिकेट खेलने के दिनों के समय से उनके पूर्व क्रिकेटर इमरान के साथ नजदीकी संबंध हैं। वह निजी हैसियत से समागम में शामिल होने गए थे। गौरतलब है कि विपक्ष सिद्धू के पूर्व प्रधानमंत्री अटल बिहारी वाजपेयी के अंतिम संस्कार के बजाए पाकिस्तान जाने को मुद्दा बना रहा है, लेकिन कांग्रेस नेता अब तक सिद्धू का बचाव करते आ रहे थे।
सिद्धू की सफाई- बाजवा ने ऐसी बात कही… मैं क्या करता?
अमृतसर। ‘अगर कोई (पाक सेना प्रमुख) पास आए और कहे कि हम एक ही संस्कृति से जुड़े हैं और गुरुनानक देव की 550वीं जयंती पर गुरुद्वारा करतारपुर साहिब के लिए साथ मिलकर रास्ता खोलेंगे तो ऐसे में मैं क्या करता।’ यह सफाई दी नवजोत सिद्धू ने पाकिस्तान में पीएम इमरान खान के शपथ ग्रहण समारोह के दौरान पाक सेना प्रमुख बाजवा से गले मिलने को लेकर, जिस पर पूरे देश में इनदिनों सियासत गरमाई हुई है। पाक अधिकृत कश्मीर के राष्ट्रपति के बगल में बैठने के मामले में उन्होंने कहा कि मैं वहां मेहमान था। पहले मैं कहीं और बैठा था लेकिन उन्होंने मुझे वहां बैठने को कहा तो मैं वहां बैठा। उन्होंने कहा कि ‘ मैं अपने दोस्त के न्योते पर गया था।
पाकिस्तान के प्रधानमंत्री से खुशगवार माहौल में मुलाकात हुई। अब हम उम्मीद कर सकते हैं कि दोनों देशों के बीच दोस्ती का रिश्ता मजबूत होगा। उन्होंने कहा कि भारत की भावनाओं से उन्हें अवगत करवा दिया है। कहा कि मेरी भेंट की शॉल को स्वीकार कर इमरान ने भारत को उच्च सम्मान दिया है। पाकिस्तान से हमारे अच्छे संबंधों की शुरुआत हुई है।