शिरोमणि गुरुद्वारा प्रबंधक कमेटी (एसजीपीसी) ने भी फिल्म को सिख धर्म की भावनाओं से खेलने वाली फिल्म करार दिया।
सिखों के प्रथम गुरु के जीवन पर आधारित फिल्म नानक शाह फकीर की रिलीज को सुप्रीम कोर्ट ने मंगलवार को हरी झंडी दे दी। कोर्ट ने केंद्र और राज्य सरकारों से कहा कि फिल्म तय समय पर 13 अप्रैल को रिलीज करवाएं। साथ ही सुनिश्चित करें कि इस दौरान कोई हिंसा न हो। हालांकि, सीएम कैप्टन ने कहा कि फिल्म पंजाब में रिलीज नहीं होगी। उन्होंने साफ किया कि फिल्म पर कोई बैन नहीं लगाया गया है, बल्कि लोगों की भावनाओं को देखते हुए खुद निर्माता ने ही पंजाब में फिल्म रिलीज नहीं करने का फैसला किया है। वहीं, निर्माता हरिंदर सिंह सिक्का ने कहा कि फिल्म पंजाब में रिलीज होगी या नहीं, यह तो उनका डिस्ट्रीब्यूटर ही बताएगा। इससे पहले बेंच ने सिक्का की याचिका पर कहा था कि केंद्रीय फिल्म प्रमाणन बोर्ड से पारित होने के बाद फिल्म पर किसी और की आपत्ति उचित नहीं है। कोर्ट ने इस मामले में पक्षकारों को नोटिस जारी किया है। अगली सुनवाई 8 मई को होगी। वहीं, एसजीपीसी प्रधान गोबिंद सिंह लोंगोवाल ने कहा कि बुधवार को रिव्यू पिटीशन दाखिल की जाएगी।
श्री अकाल तख्त का फैसला ही सर्वोच्च होगा
फिल्म पर श्री अकाल तख्त द्वारा पाबंदी लगाने के बाद शिरोमणि गुरुद्वारा प्रबंधक कमेटी (एसजीपीसी) ने भी फिल्म को सिख धर्म की भावनाओं से खेलने वाली फिल्म करार देते हुए कहा कि श्री अकाल तख्त का फैसला ही सर्वोच्च होगा। एसजीपीसी प्रधान भाई गोबिंद सिंह लौंगोवाल ने सुप्रीम कोर्ट द्वारा फिल्म को रिलीज करने संबंधी हरी झंडी देने के फैसले को गलत करार देते हुए कहा कि एसजीपीसी को यह फैसला स्वीकार नहीं है। सिख सेंसर बोर्ड बनाने के फैसले पर लौंगोवाल ने कहा कि यह समय की जरूरत है।
3 साल पहले बनी थी फिल्म, तब एसजीपीसी ने दी थी क्लीनचिट
निर्माता सिक्का ने बताया कि फिल्म 2015 में बनाई थी। तब अकाल तख्त और एसजीपीसी ने इस पर आपत्ति जताई थी। कुछ बदलाव के बाद अकाल तख्त ने इसे मंजूरी दे दी थी। एसजीपीसी की 8 मेंबरी कमेटी ने भी 2016 में क्लीन चिट दी थी। अब एसजीपीसी का कहना है कि गुरु नानक देव और उनके परिजनों का किरदार आम कलाकारों ने निभाया है। यह मंजूर नहीं।
अब तक क्या रहा
22, जनवरी 2015: अकाल तख्त के जत्थेदार ज्ञानी गुरबचन सिंह द्वारा “नानक शाह फकीर’ फिल्म के प्रोड्यूसर हरिंदर सिंह सिक्का को प्रशंसा पत्र दिया गया।
15 अप्रैल 2015: फिल्म पर विवाद बढ़ने के बाद पंजाब सरकार द्वारा फिल्म की स्क्रीनिंग को स्थगित कर दिया गया। हालांकि, कुछ जगहों पर फिल्म की स्क्रीनिंग की गई।
21 अप्रैल 2015: प्रोड्यूसर द्वारा फिल्म की रिलीज कर दी गई। एसजीपीसी द्वारा इस पर फैसले के लिए 8 मेंबरी सब-कमेटी बनाई गई।
13 मई 2016: सब-कमेटी द्वारा फिल्म को मंजूरी दे दी गई।
13 मार्च 2018: फिल्म की री-रिलीज 13 अप्रैल को रखी गई थी, इसी के तहत एसजीपीसी के चीफ सैक्रेटरी रूप सिंह द्वारा एसजीपीसी शैक्षिक संस्था निदेशक को ई-मेल कर के स्टूडेंट्स को फिल्म दिखाने की अनुमति मांगी गई।
19 मार्च: एसजीपीसी द्वारा गुरुद्वारा मैनेजर्स को फिल्म की प्रमोशन के लिए निर्देश जारी किए गए।
28 मार्च: सोशल मीडिया पर फिल्म का विरोध होने के बाद भी एसजीपीसी अपने फैसले पर टिकी रही और लोगों को विद्रोह करने से पहले फिल्म देखने के लिए कहा।
29 मार्च: एसजीपीसी अपने ही फैसले से पलटी, कहा- सिखों की धार्मिक भावनाओं को ध्यान में रखते हुए फिल्म की रिलीज को मंजूरी नहीं दे सकते।
5-6 अप्रैल: एसजीपीसी द्वारा फिल्म के रिव्यू के लिए नई सब-कमेटी बनाई गई। कमेटी द्वारा राज्य व केंद्र सरकार को फिल्म पर बैन लगाने के लिए आग्रह किया गया।
8 अप्रैल: गर्मदलियों द्वारा फिल्म के खिलाफ फरमान जारी कर दिया गया कि फिल्म को रिलीज न किया जाए।
9 अप्रैल: अकाल तख्त के जत्थेदार ज्ञानी गुरबचन सिंह द्वारा फिल्म पर बैन का ऐलान कर दिया गया, साथ ही “सिख सैंसर बोर्ड’ की स्थापना की बात रखी गई।
रिलीज को टालता हूं तो मुझे करोड़ों का जुर्माना देना होगा- फिल्म डायरेक्टर
अकाल तख्त जत्थेदार ज्ञानी गुरबचन सिंह ने कहा कि मैं पूरे विश्व में गुरु नानक देव जी के अनुयायियों से अपील करता हूं कि फिल्म का विरोध शांत-मई ढंग से करें। वहीं, फिल्म प्रोड्यूसर हरिंदर सिंह सिक्का के मुताबिक, अगर मैं फिल्म की रिलीज को टालता हूं तो मुझे करोड़ों का जुर्माना देना होगा, क्योंकि मैने कांट्रैक्ट साइन किया हुआ है।