सौतेला व्यवहार क्यों करता है, क्या चंडीगढ़ भारत का हिस्सा नहीं
केंद्र हर बार चंडीगढ़ से सौतेला व्यवहार क्यों करता है, क्या चंडीगढ़ भारत का हिस्सा नहीं है? क्या यह शहर कोई विदेशी कॉलोनी जो हर बार केंद्र सरकार शहर के मामलों में कोई भी फैसला करने में इतनी देरी करती है। क्यों शहर के मामलों को लेकर केंद्र सरकार हर बार अड़ंगा लगाती है। चाहे वो शहर के निजी स्कूलों द्वारा मनमाने तरीके से फीस बढ़ोतरी का मामला हो या पंजाब यूनिवर्सिटी की बदहाल वित्तीय स्थिति या फिर चंडीगढ़ इंटरनेशनल एयरपोर्ट का मामला केंद्र सरकार ने इन सभी मामलों में शहर के साथ सौतेला व्यवहार ही किया है।
जस्टिस एसएस सारों एवं जस्टिस अवनीश झिंगन की खंडपीठ ने यह कड़ी टिपण्णी शहर के निजी स्कूलों द्वारा मनमाने तरीके से बढ़ाई जा रही फीस पर लगाम लगाए जाने की मांग को लेकर दायर एक याचिका पर सुनवाई करते हुए की है। इस मामले में चंडीगढ़ प्रशासन हाईकोर्ट को बता चुका है कि पंजाब सरकार ने निजी स्कूलों द्वारा मनमाने तरीके से फीस बढ़ोतरी करने पर रोक लगाए जाने के लिए पंजाब रेगुलेशन ऑफ फीस ऑफ अनएडेड एजुकेशनल इंस्टीट्यूशन एक्ट-2016 लागू कर चुका है जिसके माध्यम से वार्षिक सिर्फ आठ प्रतिशत फीस बढ़ोतरी तय कर दी है। उस एक्ट को चंडीगढ़ भी लागू करने जा रहा है। इसका प्रस्ताव बना केंद्र सरकार को भेजा जा चुका है।
इस मामले में केंद्रीय गृह मंत्रालय और केंद्रीय मानव संसाधन मंत्रालय की स्वीकृति जरूरी है। यह जानकारी प्रशासन ने हाईकोर्ट को फरवरी माह में ही दे दी थी और इसके बाद हर बार सुनवाई के दौरान केंद्र सरकार द्वारा हाईकोर्ट को बताया जाता रहा कि यह प्रस्ताव केंद्र सरकार के पास पहुंच गया है जिस पर गौर किया जा रहा है।