Sexually Exploited

स्कूलों में बच्चों का यौन शोषण छुपाया तो अध्यापक भी नपेंगे

पंजाब के स्कूलों में अध्यापक व अन्य स्टाफ अब बच्चों के साथ हो रही यौन शोषण की घटनाओं को छुपा नहीं सकेंगे। अगर किसी भी स्कूल का अध्यापक और स्टाफ किसी बच्चे के साथ हुई ऐसी घटना को छुपाता है तो उसके खिलाफ भी कड़ी कार्रवाई हो सकती है। स्टेट कमिशन फॉर प्रोटैैक्शन आफ चाइल्ड राईट्स (राज्य बाल अधिकार रक्षा कमिशन) द्वारा इस संबंध में कड़े आदेश जारी किए गए हैं। राज्य बाल अधिकार रक्षा कमिशन के सैक्रेट्री कविता सिंह आई.ए.एस. की ओर से शिक्षा विभाग पंजाब के सैक्रेटरी कृष्ण कुमार को बाकायदा एक पत्र भी लिखा गया है।

सही समय पर शिकायत न मिलने से कार्रवाई में होती है देरी

पत्र में कहा गया है कि सभी स्कूलों के टीचिंग तथा नॉन टीचिंग स्टाफ को निर्देश जारी किए जाएं ताकि ऐसी घटनाओं को रोकने के लिए उचित कदम उठाते हुए बच्चों को भी इस बारे जागरूक किया जाए। बच्चों में भी जागरूकता फैलाई जानी चाहिए कि वे ऐसी कोई भी घटना होने और आभास होने पर तुरंत सूचना किसी विश्वसनीय व्यक्ति को जरूर दें।

कमीशन का मानना है कि स्कूली बच्चों के साथ यौन शोषण की बढ़ रही घटनाओं बारे कमीशन द्वारा खुद नोटिस लिए जाने तथा शिकायतें पर कार्रवाई दौरान यह बात सामने आई है कि संबंधित स्कूल के स्टाफ द्वारा ऐसी घटनाओं की सूचना पुलिस को सही समय पर न देने कारण कार्रवाई में देरी हो जाती है।

पुलिस को तुरंत देनी होती है रिपोर्ट

कमिशन द्वारा जारी पत्र में बताया गया है कि किसी भी स्कूल में बच्चों के साथ हुई यौन शोषण घटना संबंधी प्रोटैक्शन आफ चिल्डर्न फ्रॉम सैक्सुअल अफेंसिज़ (पौकसो) एक्ट 2012 की धारा 19 अधीन तुरंत पुलिस को सूचना देनी
होती है।

किसी मामले की सूचना देने में देरी न करें अध्यापक

अगर कोई बच्चा ऐसा मामला किसी भी स्कूल अध्यापक व स्टाफ के पास ले कर आता है और स्कूल स्टाफ को ऐसे किसी भी मामले बारे पता चलता है तो वह उस बारे तुरंत अपने उच्च अधिकारियों को सूचित करे। ऐसा करने से बच्चों में विश्वास तथा सुरक्षा की भावना उत्पन्न होगी और वे बिना किसी डर से ऐसी किसी भी अप्रिय घटना के विरुद्ध खुलासा कर सकेंगे।

पत्र में यह भी कहा गया है कि अगर स्कूल में बच्चों से यौन शोषण की किसी घटना का पता चलने पर पुलिस को सूचित नहीं करते तो ऐसे अधिकारी, अध्यापक व स्टाफ भी पोकसो एक्ट की धारा 21 के तहत सजा के भागीदार होंगे।

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