उम्र कोई भी हो, मजबूत हडि्डयां स्वस्थ शरीर की जरूरत होती हैं। हमारी हड्डियां कैल्शियम के अलावा कई तरह के मिनरल से मिलकर बनी होती हैं। अनियमित जीवनशैली की वजह से या फिर बढ़ती उम्र में ये मिनरल खत्म होने लगते हैं। हड्डियां घिसने और कमजोर होने लगती हैं। धीरे-धीरे मरीज काम करने में असमर्थ होता जाता है। मामूली चोट लगने से भी उसे फ्रैक्चर होने की संभावना बढ़ जाती है। हार्मोनल बैलेंस बिगड़ने, असंतुलित भोजन और बढ़ती उम्र के कारण भी हड्डियां कमजोर हो जाती हैं। लेकिन सही देखभाल की जाए, तो हड्डियों को कमजोर होने से बचाया जा सकता है।
…तो अलर्ट हो जाएं
कमर या जोड़ों में दर्द, मामूली चोट लगने पर भी हड्डियों में फ्रैक्चर, रह-रहकर न सहे जाने वाला दर्द, हड्डियों को दबाने पर मुलायम लगना और उनमें दर्द होना, ये सब ऑस्टियोपोरोसिस के लक्षण हैं। यह हड्डियों की ऐसी परेशानी है, जिससे हड्डियां धीरे-धीरे कमजोर हो जाती हैं।
शुरुआत में इसका पता नहीं चलता। फ्रैक्चर होने पर ही इसका पता चल पाता है। इस तरह के लक्षण दिखाई दें, तो तुरंत मेडिकल सलाह लेनी चाहिए।
बच्चों को बचाएं
नवजात बच्चों से लेकर बढ़ते बच्चों में कैल्शियम की जरूरत अधिक होती है। मजबूत हड्डियों के लिए विटामिन-डी की जरूरत होती है। इसकी कमी से बच्चों में रिकेट्स और स्कर्वी जैसे रोग हो सकते हैं।
छोटे बच्चों के हाथ-पैरों में टेढ़ापन और बड़ा माथा होना विटामिन डी की कमी को ही दर्शाता है। सूर्य की रोशनी विटामिन-डी का सबसे बेहतर स्रोत है। बच्चों को चारदीवारी में रखने की बजाय उन्हें बाहर खेलने के लिए प्रोत्साहित करें। माता पिता को चाहिए कि वे कम से कम जंक फूड बच्चों को दें आैर उन्हें दूध जरूर पिलाएं।
महिलाओं की मुश्किल
महिलाओं को कैल्शियम की ज्यादा जरूरत होती है। मेनोपॉज के बाद उनकी हड्डियां कमजोर होने लगती हैं। ऑस्टियोपोरोसिस जैसी बीमारी में में तो हड्डियां उम्र के साथ मुलायम होकर चिटकने लगती हैं।
इस समस्या से लड़ने के लिये महिलाओं को नियमित व्यायाम करने के अलावा अपने आहार में मेवा, दूध, हरी सब्जिगयां और कैल्शियम सप्लीमेंट जरूर शामिल करना चाहिए। लापरवाही से रीढ़ की हड्डी पर असर पड़ सकता है। अधेड़ उम्र और स्तनपान कराने वाली महिलाओं को इन बातों का खासतौर पर ध्यान रखना चाहिए।
युवा भी अछूते नहीं
20 से 35 साल की उम्र के युवा लोग भी अब हड्डियों से जुड़ी बीमारियों के शिकार हो रहे हैं।इंडोर वर्क, असंतुलित लाइफस्टाइल, खानपान, स्मोकिंग और शराब का सेवन आज तेजी से जिंदगी का हिस्सा बन रहा है।
शारीरिक गतिविधियां न होने और एक्सरसाइज न करने से मांसपेशियां कमजोर होने लगती हैं और हड्डियां ऐसे में संवेदनशील हो जाती हैं। खासतौर पर रीढ़ की हड्डी पर सबसे ज्यादा असर पड़ता है, जिससे युवाओं में स्लिप डिस्क की समस्या देखने को मिलती है। कमर का दर्द तो एक आम बात हो गई है।
उम्रदराजों का दर्द
कंधा, कमर या फिर घुटने; उम्रदराज लोगों में जोड़ों के दर्द की समस्या अधिक देखने मिलती है। कई लोग तो गठिया के मरीज होते हैं। गठिया एक अनुवांशिक बीमारी है, जिसे नियंत्रण में रखना बेहद जरूरी है, क्योंकि इससे शरीर के दूसरे अंग भी प्रभावित हो सकते हैं। रोज व्यायाम को प्रमुखता दें और हो पाए तो कम से कम दो किलोमीटर पैदल चलने की कोशिश करनी चाहिए।
अपनाएं ऑलिव ऑयल
जैतून का तेल आपकी हड्डियों के लिए सुरक्षा चक्र का काम कर सकता है। एक नए शोध में पता चला है कि दो साल तक ऐसा खाना खाने से, जिसमें फल, सब्जियां और जैतून का तेल भरपूर मात्रा में होता है, हड्डियां मजबूत होती हैं।
बढ़ती उम्र के साथ ऑस्टियोपोरोसिस के बढ़ते खतरे को कम करने में भी जैतून के तेल वाला खाना उपयोगी साबित हुआ है।