हथियारों के लाइसेंस बनवाने को लेकर एक नियम में बड़ा बदलाव किया गया है। शायद ही कोई बताए, जानने के लिए यहां क्लिक करें।
दरअसल, गृह मंत्रालय के आदेशों पर अब हथियारों का लाइसेंस रिन्यू करवाने के लिए डोप टेस्ट कराना होगा। जिसके चलते अब असलहा लाइसेंस रखने वालों पर नशा करना भारी पड़ सकता नशा। पंजाब में यह नया नियम लागू हो चुका है। इसके तहत शनिवार को बठिंडा में पहले दिन रिन्यूवल लाइसेंस के चार डोप टेस्ट किए गए। जिनमें से किसी की रिपोर्ट भी नेगेटिव नही आई। इन चार आवेदकों में एक महिला भी शामिल थी।
लेकिन अल्कोहल के लिए अलग से डोप टेस्ट न होने के चलते शराब पीने के आदि लोग इस प्रक्रिया से बच निकले हैं। पंजाब में बठिंडा ऐसा जिला है, जहां पर पिछले एक साल से नए असलहा लाइसेंस धारकों का डोप टेस्ट किया जा रहा है। अब रिन्यू करवाने वाले भी ये टेस्ट करा रहे हैं। सिविल अस्पताल बठिंडा में तैनात डाक्टर अरुण बांसल के अनुसार पिछले एक साल से रोजाना पांच से दस के करीब असलह लाइसेंस धारकों का डोप टेस्ट किया जा रहा है।
असलहा लाइसेंस रिन्यू करवाने के लिए शुरू किए गए डोप टेस्ट करने वाले डाक्टर अरुण बांसल का कहना था कि लोग ज्यादातर शराब पीकर ही हथियार को चलाते हैं। इस लिए सरकार को चाहिए कि वह अल्कोहल के लिए भी डोप टेस्ट शुरू करें। उन्होंने कहा कि बड़ी मात्रा में लोग अल्कोहल का उपयोग करते है। लेकिन अल्कोहल टेस्ट में न आने के चलते ऐसे लोगों को फायदा मिल रहा है।
डाक्टर ने बताया कि एक अप्रैल 2017 से लेकर 20 मार्च 18 तक ग्यारह लोगों का डोप टेस्ट नेगेटिव पाया गया है। जो युवा थे। उन्होंने बताया कि असलहा लाइसेंस धारक मौजूदा समय में युवा आयु के ही आ रहे है। डाक्टर ने बताया कि बठिंडा अकेला ऐसा जिला है जहां पर असलहा लाइसेंस के लिए डोप टेस्ट पिछले एक साल से शुरू है। उन्होंने बताया कि बठिंडा के अलावा मानसा से भी उनके पास लोग टेस्ट करवाने को पहुंच रहे है।
डोप टेस्ट के कारण असलहा लाइसेंस धारकों में आएगी कमि असलहा लाइसेंस न्या व रिन्यू करवाने के लिए अनिवार्य किए गए डोप टेस्ट से असलहा लाइसेंस धारकों में बडे़ स्तर पर कमि आने की आशंका जताई जा रही है। क्यों कि सरकारी व गैर सरकारी आंकड़े बताते है कि पंजाब में बड़े स्तर पर लोग नशे की गिरफ्त में है, जिसके चलते अब उन लोगों के लिए एक बड़ी मुश्किल खड़ी हो गई है।
इस संबंध में गृह विभाग पंजाब के स्पेशल सचिव ने 6 मार्च को सभी जिलों के डिप्टी कमिश्नर को पत्र जारी किया है, जिसमें स्पष्ट हिदायत की गई है कि आर्म्स एक्ट 1959 एंड रूल्स 2016 के नंबर 11 के (जी) के अनुसार प्रार्थी का असला लाइसेंस बनाने या रिन्यू करने के लिए डोप सर्टिफिकेट लेना यकीनी बनाया जाए। केंद्रीय गृह मंत्रालय द्वारा जुलाई 2016 में बनाए गए रूल को पंजाब में लागू नहीं किया गया था।