16 साल पहले सड़क हादसे में गई बेटे की जान, अब बने बुजुर्ग पिता मुआवजे का हकदार
पिता मुआवजे का हकदार लाचार बुजुर्ग पिता के लिए अदालत से एक राहत भरी खबर आई है। पंजाब-हरियाणा हाईकोर्ट ने अहम फैसला सुनाते हुए उम्रदराज पिता को बेटे की आय पर आश्रित मानते हुए उसे मुआवजे का हकदार माना है। अभी तक कानूनी रूप से पिता को बेटे की आय पर आश्रित नहीं माना जाता था। खास तौर पर मुआवजे की स्थिति में ऐसा नहीं होता था।
पेश मामले में अंबाला निवासी स्वर्ण राम ने हाईकोर्ट में याचिका दाखिल कर कहा था कि 17 दिसंबर 2002 को उसका बेटा सड़क किनारे खड़ा था। इसी बीच लापरवाही से ट्रक चलाते हुए चालक ने उसके बेटे को टक्कर मार दी, जिससे उसकी मौत हो गई। बेटे की मौत के बाद स्वर्ण राम ने मोटर एक्सीडेंट क्लेम ट्रिब्यूनल के सामने मुआवजे की अपील की थी। सुनवाई के बाद ट्रिब्यूनल ने 1,15,200 रुपये क्लेम की राशि निर्धारित की थी।
लेकिन स्वर्ण राम ने इसे नाकाफी बताते हुए हाईकोर्ट में दाखिल अपनी अपील में कहा था कि उनका बेटा डेरी चलाता था और इससे उसकी मासिक आमदनी 6 हजार रुपये थी। ऐसे में परिवार के पालन पोषण के लिए 10 लाख रुपये का मुआवजा दिया जाए। स्वर्ण राम ने याचिका में कहा था कि उनका बेटा घर में एकलौता कमाने वाला था और परिवार के सभी सदस्य उसकी आय पर आश्रित थे।
पंजाब-हरियाणा हाईकोर्ट
हाईकोर्ट ने याचिका पर अहम व्यवस्था देकर वृद्ध पिता को बेटे की आय पर निर्भर मानते हुए मुआवजे का हकदार बताया है। हाईकोर्ट ने कहा कि 2005 में ट्रिब्यूनल ने अपने फैसले में याची की उम्र 65 साल मानी थी और एक्सीडेंट उससे तीन साल पहले हुआ था। ऐसे में एक्सीडेंट के समय याची की उम्र करीब 62 साल रही होगी और उम्रदराज होने के नाते वह आश्रित था।
यदि बेटा जीवित रहता तो याची उसकी आय पर ही आश्रित रहता। हाईकोर्ट ने कहा कि अक्सर पिता को मुआवजे के लिए हकदार नहीं माना जाता है, लेकिन उम्रदराज होने और आय का कोई साधन न होने की स्थिति में पिता को मुआवजे का हकदार माना जा सकता है।