सैंट्रल पॉल्यूशन कंट्रोल बोर्ड (सी.पी.सी.बी.) ने चंडीगढ़ को पूरे देश में सबसे खराब एयर क्वालिटी की लिस्ट में शुमार शहरों में शामिल कर दिया है। इसके बाद अब चंडीगढ़ पॉल्यूशन कंट्रोल कमेटी (सी.पी.सी.सी.) ने एयर पॉल्यूशन को कंट्रोल करने का ड्राफ्ट प्लान तैयार कर लिया है। यह ड्राफ्ट प्लान इसी सप्ताह सी.पी.सी.बी. के पास सब्मिट करवाया जाएगा।
ड्राफ्ट के तहत चंडीगढ़ प्रशासन के उन सभी विभागों की जिम्मेदारी फिक्स कर दी गई है, जो एयर पॉल्यूशन को कम करने में मददगार साबित हो सकते हैं। दरअसल पिछले दो वर्षों में जिस तरह से शहर में सर्दियों के दौरान एयर क्वालिटी की स्थिति वेरी पुअर कैटेगिरी तक पहुंच गई, उसे देखते हुए सी.पी.सी.बी. ने पहली बार चंडीगढ़ को यह प्लान तैयार करने के लिए कहा था। ड्राफ्ट को फिलहाल सभी विभागों की अप्रूवल के लिए भेज दिया गया है।
इन विभागों की जिम्मेदारी हुई तय
स्टेट ट्रांसपोर्ट अथॉरिटी, ट्रैफिक पुलिस, अर्बन लोकल बॉडी, पैट्रोलियम प्रोडक्ट डिस्ट्रिब्यूटर कंपनियों के प्रतिनिधि, इंजीनियरिंग विभाग, साइंस एंड टैक्नोलॉजी डिपार्टमैंट, नगर निगम, सी.पी.सी.सी., डिपार्टमैंट ऑफ इंडस्ट्रीज और हॉर्टीकल्चर विभाग।
वाहनों के प्रदूषण के लिए
-पॉल्यूशन फैलाने वाले व्हीकल्स के खिलाफ अभियान शुरू होगा।
-पब्लिक अवेयरेनैस कैंपेन शुरू किए जाएंगे। व्हीकल्स की मैंटीनैंस चेक की जाएगी। लोग पर्सनल व्हीकल्स कम से कम इस्तेमाल करें, इस पर फोकस रखना होगा। लेन डिसिप्लेन के बारे में जागरुक किया जाएगा।
-जब बी.एस.-5 फ्यूल उपलब्ध होगा तो डीजन व्हीकल्स में रेट्रोफिट किए जाएंगे।
-फ्यूल में मिलावट की निरंतर अंतराल में चैकिंग की जाएगी।
-भविष्य में एक्सप्रैस-वे/बाईपास बनाए जाएंगे।
-शहर के बॉर्डर में तोलने की मशीनें लगाई जाएंगी।
-लेन ड्राइविंग के लिए इंटैलिजैंट ट्रैफिक सिस्टम शुरू किया जाएगा।
-बैटरी ऑपरेटिड व्हीकल्स को प्रोमोट करने के लिए उचित कदम उठाए जाएंगे।
-सभी बी.एस.-2 और बी.एस.-3 कमर्शियल व्हीकल्स की इंस्पैक्शन की जाएगी।
रोड डस्ट खत्म करने के लिए
-मुख्य ट्रैफिक इंटरसैक्शन में धूल दूर करने के लिए वाटर फाऊंटेन लगाए जाएंगे।
-ट्रैफिक कॉरिडोर्स के साथ-साथ ग्रीन बफर्स तैयार किए जाएंगे।
-ट्रैफिक फ्लो बनाए रखने के लिए सड़कों में पड़े गड्ढों को ठीक किया जाएगा।
-ओपन एरिया, गार्डन, कम्यूनिटी प्लेस, स्कूल और हाऊसिंग सोसाइटी में ग्रीनरी को बढ़ाया जाएगा।
-सड़कों के डिजाइन को और बेहतर किया जाएगा।
खुले में डाल रहे बिल्डिंग वेस्ट मटीरियल
सैक्टर-51 और 52 की स्लिप रोड में कंस्ट्रक्शन के दौरान इमारतों से निकलने वाले वेस्ट मटीरियल को खुले में फैंका जा रहा है। विशेषज्ञों के अनुसार बारिश के दौरान ये सारा वेस्ट मटीरियल सड़क में फैल जाता है जो वाहनों के टायरों के साथ पूरे शहर में फैल रहा है। जिससे वायु प्रदूषण तेजी से बढऩे की संभावनें जताई जा रही हैं।
ढाबों और रैस्टोरैंट में चल रहे तंदूर का ऑप्शन भी तलाशना होगा
जिन पहलुओं को चंडीगढ़ प्रशासन ने एयर पॉल्यूशन फैलाने वाले मुख्य कारणों में शामिल किया है उनमें ढाबों और रेस्टोरैंट में चल रहे तंदूर पर गंभीरता से ध्यान नहीं दिया गया। अब इलैक्ट्रिक तंदूर को शहर में प्रोमोट किए जाने पर विचार चल रहा है।
ऐसे रोकेंगे इंडस्ट्रीज का प्रदूषण
-नियमों के तहत काम न करने वाली इंडस्ट्रीज के खिलाफ कार्रवाई की जाएगी।
-इंडस्ट्रीज में क्लीनर प्रोडक्शन को प्रोमोट किया जाएगा।
-उत्सर्जन नियंत्रण पर विशेष तौर से काम किया जाएगा।
-एयर पॉल्यूशन कंट्रोल सिस्टम की अपग्रेडेशन की जाएगी।
कंस्ट्रक्शन के लिए यह है प्लान
-कंस्ट्रक्शन और डेमोलीशन वेस्ट रूल्स का सख्ताई से पालन करवाया जाएगा।
-जहां कंस्ट्रक्शन चल रही हो वहां पानी के छिड़काव का उचित प्रबंध किया जाएगा जिससे धूल पर कंट्रोल किया जा सके।
-यह चैकिंग की जाएगी कि कंस्ट्रक्शन साइट को चारों तरफ से पर्दों या फिर अन्य बैरियर से ढका जाए।
कुछ खास बातें
-चंडीगढ़ में पी.एम.-10 और पी.एम.2.5 की स्थिति चिंताजनक है।
-2012 से 2016 के दौरान पी.एम.-10, सल्फर डाईऑक्साइड और नाइट्रोजन ऑक्साइड का डाटा भेजा जाएगा सी.पी.सी.बी. के पास।
-2015 और 2016 के दौरान पी.एम.2.5 की रिपोर्ट भी होगी सब्मिट।
बायोमास और गारबेज बर्निंग से होने वाले प्रदूषण के लिए यह होगा प्लान
-खुले में बायोमास, फसलों के अवशेष, कूड़ा और पत्तों को जलाने वालों के खिलाफ सख्ती से अभियान शुरू किया जाएगा।
-म्यूनिसिपल सॉलिड वेस्ट को न जलाया जाए इसके लिए भी विशेष ड्राइव शुरू की जाएगी।
-हॉर्टीकल्चर वेस्ट की पूरी कलैक्शन पर फोकस रखा जाएगा। इनकी डिस्पोजल के लिए नई तकनीक लॉन्च की जाएगी।
-एडवांस वेस्ट मैनेजमैंट साइट की कंस्ट्रक्शन की जाएगी।