Shri Harmandir Sahib

Akal Takht Jathedar Giani Harpreet Singh Circular About Shri Harmandir Sahib

श्री दरबार साहिब कोई मंदिर नहीं, इसे न तो गोल्डन टेंपल कहा जाए न लिखा जाएः ज्ञानी हरप्रीत सिंह

पंजाब में अमृतसर स्थित श्री हरमंदिर साहिब को लेकर श्री अकाल तख्त साहिब के जत्थेदार ज्ञानी हरप्रीत सिंह ने सिखों को कड़े निर्देश दिए हैं, जिनका पालन करना बेहद जरूरी है।

फरमान दिया गया है कि सिख अपने सर्वोच्च धार्मिक स्थान को श्री हरमंदिर साहिब व श्री दरबार साहिब बोलें व लिखें। इस पवित्र स्थान को ‘गोल्डन टेंपल’ के नाम से न पुकारा जाए। अकाल तख्त साहिब के सचिवालय से जारी बयान में जत्थेदार ज्ञानी हरप्रीत सिंह ने कहा कि श्री दरबार साहिब कोई मंदिर नहीं है। यह सिखों के लिए पूजनीय सर्वोच्च धार्मिक स्थान है।

राष्ट्रीय राजमार्ग प्राधिकरण की ओर से मजीठा रोड पर श्री दरबार साहिब की तरफ जाने वाले रास्ता बताने के लिए एक सूचना बोर्ड लगाया गया है। इसमें श्री हरमंदिर साहिब का नाम ‘सुनहरी मंदिर’ लिखकर सिखों की भावनाओं के साथ खिलवाड़ किया है। इस संबंध में एसजीपीसी ने मुख्यमंत्री कैप्टन अमरिंदर सिंह व डीसी अमृतसर शिवदुलार सिंह को पत्र लिख कर करवाई करने मांग की है।

पंजाब के अमृतसर में बना श्री हरमंदिर साहिब गुरुद्वारा सिखों का पवित्र धामिर्क स्थल है। न केवल सिखों की, बल्कि दुनिया भर के लोगों की इसमें अटूट आस्था है। स्वर्ण मंदिर की नींव मुसलमान पीर सूफी संत साईं मिया मीर ने रखी थी। इसका पूरा उल्लेख स्वर्ण मंदिर में लगे शिलालेखों से पता चलता है। सूफी संत साईं मिया मीर का सिख धर्म के प्रति शुरू से ही झुकाव था। वे लाहौर के रहने वाले थे और सिखों के पांचवें गुरु अर्जन देव जी के दोस्त थे।

जब श्री हरमंदिर साहिब के निर्माण पर विचार किया गया, तो फैसला हुआ था कि इस मंदिर में सभी धर्मों के लोग आ सकेंगे। इसके बाद सिखों के पांचवें गुरु अर्जन देव जी ने लाहौर के सूफी संत साईं मियां मीर से दिसंबर 1588 में गुरुद्वारे की नींव रखवाई थी। पूरा अमृतसर शहर स्वर्ण मंदिर के चारों तरफ बसा हुआ है। अमृतसर का नाम वास्तव में उस सरोवर के नाम पर रखा गया है, जिसका निर्माण गुरु राम दास ने स्वयं अपने हाथों से किया था।

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