करतारपुर कॉरिडोर दोनों देशों के बीच धार्मिक स्थलों की यात्रा का गेट वे बनेगा। लगभग साढ़े चार किलोमीटर की दूरी के बीच बनाए जाने वाले इस कॉरिडोर का निर्माण सीमा के इस पार और उस पार के पंजाबियों की टूट चुकी सांस्कृतिक सांझ को जोड़ने में मदद करेगा। ऐतिहासिक स्थलों की यात्रा को आसान कर देगा। पाकिस्तान में 250 से अधिक ऐतिहासिक गुरुद्वारे हैं।
इन गुरुद्वारों की यात्रा के लिए श्रद्धालु लाहौर से जाते हैं। लाहौर-करतारपुर साहिब की 120 किलोमीटर की सड़क का निर्माण ठीक ढंग से हो जाए तो कॉरिडोर अटारी स्टेशन और अटारी सड़क सीमा के बाद पाकिस्तान जाने वाला तीसरा रास्ता हो जाएगा। वहीं करतारपुर के आस-पास स्थित पुराने हिंदू मंदिरों के दर्शन के रास्ते भी खुल जाएंगे। रावी नदी पर बनाए जाने वाला यह कॉरिडोर दोनों पंजाब के लोगों के बीच सांझ की नई इबारत लिखेगा।
पंजाबियों की सदियों पुरानी सांझ बाबा नानक के दर से एक नई सुबह के साथ शुरू होगी, जिसका प्रभाव दोनों पंजाब की सामाजिक और धार्मिक फिजा में घुली नफरत को दूर करेगी। 1994 से करतारपुर कॉरिडोर बनाने की मांग कर रहे बीएस गोराया ने बताया कि करतारपुर गुरुद्वारा से कुछ किलोमीटर पर भगवान परशुराम का भी एक मंदिर है। इतिहासकार सुरिंदर कोछड़ के अनुसार गुरुद्वारा करतारपुर साहिब के नजदीक कौशल गोत्र के ब्राह्मणों के जठेरे हैं। कॉरिडोर के निर्माण के बाद इस स्थान के दर्शन भी हो सकेंगे।
यूं चली मांग
1994 : करतारपुर कॉरिडोर के निर्माण के लिए अकाली नेता कुलदीप सिंह वडाला और बीएस गोराया ने पहली आवाज उठाई।
नवंबर 2000 : पाकिस्तान सरकार के तत्कालीन राष्ट्रपति जनरल परवेज मुशर्रफ ने पाकिस्तान गए जत्थे को कॉरिडोर का निर्माण करने का आश्वासन दिया था।
14 अप्रैल 2001 : वडाला और गोराया ने डेरा बाबा नानक की सीमा के पास खड़े होकर कॉरिडोर के निर्माण के लिए अरदास करनी शुरू की थी।
मई 2008 : अमेरिका के पूर्व राजदूत जॉन मैकडोनल्डस ने डेरा बाबा नानक का दौरा कर करतारपुर कॉरिडोर के बारे में जानकारी ली।
मई 2008 में ही तत्कालीन विदेश मंत्री प्रणव मुखर्जी ने डेरा बाबा नानक का दौरा किया और विश्वास दिलाया कि कॉरिडोर का निर्माण जल्दी शुरू होगा।
2014 में अरुण जेटली ने रक्षामंत्री का अतिरिक्त पदभार संभालने के बाद सबसे पहले डेरा बाबा नानक स्थित आर्मी कैंप का दौरा किया था।
अक्तूबर 2010 में पंजाब विधानसभा ने एक प्रस्ताव पारित कर कॉरिडोर के निर्माण की मांग केंद्र सरकार के सामने रखी।
श्री गुरु नानक देव जी ने खुद करतारपुर साहिब गुरुद्वारा की नींव रखी थी। इसी पवित्र धरती से बाबा नानक ने किरत करो, नाम जपो और वंड छको का संदेश मानवता को दिया था। गुरुद्वारा साहिब के दर्शन करने के लिए हर साल 60 हजार तीर्थ यात्री श्री डेरा बाबा नानक जी पहुंचते हैं, जहां वे दूरबीन से गुरुद्वारा साहिब के दर्शन करते हैं। 1971 में भारत पाकिस्तान के बीच हुए युद्ध के दौरान करतारपुर साहिब तक बना लोहे का पुल टूट गया था। उसके बाद पुल का निर्माण नहीं हुआ।