CBI के नोटिस की भी परवाह नहीं करता था राम रहीम
ताकत का गुमान इस कदर था कि डेरामुखी सीबीआई के नोटिस की भी परवाह नहीं करता था। इसी के चलते सीबीआई डेरामुखी के खिलाफ चल रहे मामलों मेें पूछताछ करने के लिए अमूमन भारी प्रेशर से जूझती थी। सीबीआई ने जब भी पूछताछ के लिए डेरामुखी को बुलाया, डेरामुखी पेश नहीं हुआ, अंतत: सीबीआई को ही डेरे में पहुंचकर दबाव के बीच डेरामुखी से पूछताछ करनी पड़ी।
अपनी शर्तों पर डेरामुखी से पूछताछ चाहता था डेरा
वर्ष 2002 में पत्रकार रामचंद्र छत्रपति की हत्या के बाद हाईकोर्ट के आदेश पर दिसंबर 2004 इस मामले की सीबीआई जांच शुरू की गई। रामचंद्र छत्रपति को गोलियों से भून दिया गया था और इस मामले में डेरामुखी को भी आरोपी बनाया गया था। इस मामले में सीबीआई डेरामुखी से पूछताछ करना चाहती थी। तकरीबन ढाई साल चली इस जांच में डेरामुखी को पूछताछ के लिए तीन बार नोटिस जारी कर सीबीआई ने दिल्ली मुख्यालय बुलाया, लेकिन इन नोटिसों को दरकिनार कर वह एक बार भी दिल्ली नहीं गया।
अंतत: सीबीआई को ही डेरे में बाबा से पूछताछ के लिए आना पड़ा। मृतक रामचंद्र छत्रपति के बेटे अंशुल छत्रपति ने बताया कि जब सीबीआई उनके पिता की हत्या की पूछताछ के लिए सिरसा पहुंची, तो भी सीबीआई पर डेरे की ओर से भारी दबाव बनाया गया। सीबीआई से कहा गया कि सीबीआई डेरे में हथियार लेकर नहीं जाएगी और डेरामुखी से सिर्फ 30 मिनट से ज्यादा पूछताछ नहीं होगी, लेकिन सीबीआई के दबंग अफसरों ने भारी दबाव के बावजूद अपने तरीके से डेरे में एंट्री की और पूछताछ भी की।
मृतक रामचंद्र के बेटे अंशुल छत्रपति ने बताया कि सीबीआई की जांच दबाव में आकर प्रभावित हो जाए, इसके लिए डेराप्रेमी भारी संख्या में दिल्ली तक पहुंच गए थे। वहां उन्होंने सीबीआई के अफसरों के खिलाफ भारी प्रदर्शन भी किया था।