GST की एक असलियत आई सामने
गुड्स एंड सर्विस टैक्स (जीएसटी) का एक ऐसा सच सामने आया है, जिसके बारे में जानेंगे तो सोच में पड़ जाएंगे कि कहीं आपके साथ भी ऐसा तो नहीं हो रहा। गुड्स एंड सर्विस टैक्स (जीएसटी) लागू हुए 80 दिन से ज्यादा हो गए हैं मगर उपभोक्ता और व्यापारी को तो छोड़िये सरकारी विभाग भी इसके लिए अभी तक पूरी तरह तैयार नहीं है। गुड्स सर्विस टैक्स नेटवर्क (जीएसटीएन) सिस्टम पूरी तरह से चालू नहीं हो पाया है। इस वजह से ही रिटर्न फाइल करने का समय भी दो माह बढ़ाया गया।
जीएसटी के अधिकारियों की के अनुसार ढाई माह से ज्यादा समय बीतने के बाद भी पूरा सिस्टम नहीं बन पाया है। एक राष्ट्र एक कर बाजार के लिए सभी टैक्स एक साथ आकलन करने के लिए जीएसटीएन सिस्टम को सुचारु करने की जरूरत थी मगर अभी तक इस पर काम चल ही रहा है। यह पूरी तरह नहीं चालू हो सका है। इस वजह से बाजार में कुछ लोग जीएसटी के नाम पर मनमानी कर रहे हैं। हर माह जो रिटर्न भरा जाना चाहिए, उसका समय दो माह और बढ़ाना पड़ा है कड़ाई से नियम लागू न हो पाने से आम जनता से कुछ लोग मनमाने रेट वसूल रहे हैं। व्यापारियों और सीए ही नहीं विभागीय लोगों को भी साइट में परिवर्तन की वजह से दिक्कत आ रही है। देश भर में जीएसटी का रिटर्न भरने वालों, फर्म व कंपनियों की संख्या 84 लाख से अधिक है। इसमें रोजाना बढ़ोत्तरी दर्ज की जा रही है। लोगों को पूरे सिस्टम के बारे में जानकारी नहीं होती है। जिसके कारण साइट हैंग हो जाती है।
गुड्स सर्विस टैक्स नेटवर्क (जीएसटीएन) की साइट का संचालन बंगलूरु से किया जा रहा है। यह साइट बंद है। इसे ठीक करने के लिए इन्फोसिस आईटी कंपनी से करार हुआ है। जिसे एक माह के भीतर ठीक करने को कहा गया है। विभागीय लोगों का मानना है कि अक्तूबर तक साइट शुरू हो जाएगी। इस वक्त जीएसटी के लिए जिस साइट का इस्तेमाल किया जा रहा है उसकी क्षमता केवल 24 लाख है। जबकि रिटर्न भरने वालों की संख्या 84 लाख से अधिक है।
विभागीय अधिकारी मानते हैं कि जो स्थिति एक जुलाई को थी। अब वह नहीं है। पूरे सिस्टम को ठीक होने में थोड़ा समय लगेगा। जीएसटी के नाम पर विभाग की ओर से अभी किसी पर दबाव नहीं बनाया जा रहा है परंतु मनमानी करने वालों पर नजर रखी जा रही है। विभाग अभी यह जानने में जुटा है कि जो बड़ी कंपनियां अपना प्रोडक्ट किसी और को बेच कर रिटर्न फाइल में दिखा रही हैं। जिसे वह माल बेच रही हैं उसके द्वारा जीएसटी जमा किया जा रहा है या नहीं।
आयकर विभाग में टैक्स के लंबित मामले अभी खत्म होने में दो साल लगेंगे। कराधान व व्यापार कर विभाग को स्टेट जीएसटी की श्रेणी में रखा गया है। इनके लंबित मामलों को निपटाया जा रहा है। राज्य की परिधि में आने वाले कारोबार पर स्टेट जीएसटी अधिकारी नजर रखेंगे। लंबित मामलों के खत्म होने के बाद ही मामला पटरी पर आएगा।
केंद्रीय गुड्स सर्विस टैक्स का रीजनल कार्यालय रोहतक में है। जहां पर बैठने वाले कमिश्नर जीएसटी की ओर से नौ जिलों पर नजर रख रहे हैं। विभाग की ओर से हिसार में एक, भिवानी, चरखी दादरी और जींद को लेकर एक, सिरसा, फतेहाबाद को लेकर एक तथा रोहतक व झज्जर को लेकर एक तथा सोनीपत में एक-एक सर्कल कार्यालय खोला गया है। इन नौ जिलों में जीएसटी पर सर्विलांस के लिए आईआरएस अधिकारी को बैठाया गया है।
जीएसटी को लेकर जो भ्रम है उसे दूर करने का प्रयास किया जा रहा है। विभाग की ओर से जारी होने वाली गाइड लाइन के हिसाब से ही रिटर्न भरा जाएगा। कुछ बिदुंओं पर जीएसटी काउंसिल की ओर से निर्णय लिया जाना है। जिसके बाद जल्द ही समस्याऐं दूर होंगी।बिना तैयारी लागू जीएसटी से व्यापारी वर्ग परेशान है। साइट न खुलने पर अब तक तीन बार रिर्टन की डेट बढ़ा दी गई है। कहा कुछ जाता है। होता कुछ है। व्यापारी बाजार में सामाने लेने जाता है तो उससे जीएसटी नंबर मांगा जाता है। जीएसटी के खिलाफ रोहतक के कारोबारियों की 24 को एक बैठक है। इसमें सभी बिदुंओं पर चर्चा होगी। यह भी सुनने में आ रहा है कि सरकार अब कारोबारियों के कुल मुनाफ पर भी 28 प्रतिशत जीएसटी मांग रही है।
विभाग की ओर से 20 लाख रुपये का सालाना काम करने वालों को जीएसटी से बाहर रखा गया गया है। 20 से 75 लाख की आय वालों को कंपोजीशन श्रेणी में रखा गया है। जिसमें व्यापारी को एक प्रतिशत, निर्माता को 2 प्रतिशत और रेस्तरां को प्रतिशत जमा करना होगा। कराधान व आबकारी विभाग अब भी जीएसटी के बाहर रखा गया है। अभी इन पर जीएसटी एक्ट लागू नहीं होता है। शराब और पेट्रोल को जीएसटी से बाहर रखा गया।