मसालों का सेवन तो पूरे विश्व में किया जाता है, लेकिन हमारे देश में मसालेदार भोजन को कुछ ज्यादा ही चाव से खाया जाता है। मसाले एक ओर हमारी रोग प्रतिरोधक क्षमता बढ़ाते हैं तो दूसरी ओर इनकी अधिक मात्रा हमारी सेहत को नुकसान पहुंचा सकती है। इसलिए मसालों के फायदे-नुकसान जानना भी जरूरी है।
धनिया पाउडर
हमारे खाने में सजावट और फ्लेवर के लिए इस्तेमाल होने वाला धनिया, पाउडर के रूप में पाचक क्रिया को तेज करने में सहायता करता है। आयुर्वेद में पेट से संबंधित गड़बड़ियों को दूर करने में इसका इस्तेमाल किया जाता है। इसका सेवन रक्त में शुगर के स्तर को नियंत्रित रखता है। धनिया शरीर में वसा के अवशोषण को प्रभावित कर कोलेस्ट्रॉल को नियंत्रण में रखता है। यह हार्मोन्स के संतुलन के लिए भी बढ़िया है।
दालचीनी
दालचीनी में एंटीऑक्सीडेंट्स किसी भी अन्य मसाले से कहीं ज्यादा होते हैं। यह सूजन, रक्त में शुगर लेवल और ट्राय ग्लिसराइड्स को कम करती है। दालचीनी में मैग्नेशियम, आयरन और कैल्शियम जैसे मिनरल्स भी अच्छी मात्रा में पाए जाते हैं। कई अध्ययनों में यह बात सामने आई है कि दालचीनी फास्टिंग ब्लड शुगर को 10-29 प्रतिशत तक कम कर देती है। इसमें एंटी माइक्रोबियल गुण होते हैं, जिससे यह भोजन को जल्दी सड़ने से बचाती है।
सौंफ
सौंफ खाने में तो डाली ही जाती है, इसे खाने के बाद खाना पचाने के लिए भी खाया जाता है। यह पोषक तत्वों से भरपूर होती है। इसमें कॉपर, पोटैशियम, कैल्शियम, जिंक, मैग्नेशियम, आयरन, सेलेनियम, मैग्नीज और विटामिन सी अच्छी मात्रा में पाए जाते हैं। फूड साइंस जर्नल में प्रकाशित एक रिपोर्ट के अनुसार खाना खाने के बाद सौंफ चबाने से रक्तदाब को नियंत्रित करने में सहायता मिलती है।
इसमें पाए जाने वाले फाइटोन्युट्रिएंट्स साइनस को साफ करने में सहायता करते हैं और ब्रोंकाइटिस, छाती की जकड़न और खांसी में आराम पहुंचाते हैं। यह शरीर को डिटॉक्स करती है और हानिकारक तत्वों से शरीर को लड़ने में मदद करती है। यही कारण है कि नियमित रूप से इसका सेवन करने वालों को त्वचा, पेट और स्तन कैंसर की आशंका कम होती है।
जीरा
जीरा एक लैक्सेटिव की तरह काम करता है और बवासीर की समस्या को कम करता है। जीरा एक अच्छा पाचक है। यह मैग्नेशियम और आयरन का अच्छा स्रोत है, कैल्शियम के अवशोषण में सहायता करता है और ब्लड प्रेशर को नियंत्रित करता है। साथ ही लिवर को विषैले पदार्थों से मुक्त भी रखता है।
अदरक
अदरक एक प्राकृतिक दर्द निवारक के रूप में काम करती है। अदरक भोजन के पाचन में सहायता कर, पेट की गड़बड़ियों को दूर करती है। अदरक में एंटी ऑक्सीडेंट गुण भी होते हैं, और यह कैंसर जैसी बीमारियों को रोकने में भी सहायक हो सकती है।
लहसुन
लहसुन हमारे खाने में प्राकृतिक एंटीबायोटिक की तरह काम करता है। यह रक्तदाब और कोलेस्ट्रॉल के स्तर को कम करता है, लहसुन खाने वालों को हृदय रोगों और कैंसर का खतरा कम हो जाता है। अमेरिका में हुए एक अध्ययन में यह भी सामने आया है कि लहसुन रक्तदाब को कम करने वाली दवाइयों जितना प्रभावशाली होता है। लहसुन का पूरा फायदा लेने के लिए इसकी कलियों को कुचलना या बारीक-बारीक काटना चाहिए, क्योंकि एलिसिन केवल तब ही बनता है, जब लहसुन के अंदर पायी जाने वाली कोशिकाओं को काटा या कुचला जाता है।
मेथीदाना
मेथीदानों के सेवन से पाचन दुरुस्त रहता है और यह रक्त में कोलेस्ट्रॉल को नियंत्रित करता है। मेथी शरीर की आंतरिक तथा बाहरी सूजन में आराम पहुंचाती है। स्तनपान कराने वाली महिलाओं में यह मिल्क फ्लो को बढ़ाती है। मेथीदाने में पाया जाने वाला प्लांट प्रोटीन 4- हाइड्रोक्सीआइसोल्युसिने होता है, जो इंसुलिन की कार्यप्रणाली को सुधार कर, रक्त में शुगर के स्तर को नियंत्रित रखता है। डायबिटीज में रोज आधा कप मेथीदाने का पानी पीने से रक्त में शुगर का स्तर नियंत्रित रहता है।
सरसों के बीज (राई)
राई में विटामिन बी कॉम्प्लेक्स काफी मात्रा में पाया जाता है। इसका सेवन रूमैटाइड ऑर्थराइटिस और मांसपेशियों के दर्द में आराम पहुंचाता है और अस्थमा के लक्षणों को नियंत्रित करता है। सरसों के बीज कैंसर से लड़ने में सहायक होते हैं। इनका सेवन फेफड़ों, आहार नाल में कैंसर की आशंका को काफी कम करता है।
हल्दी
हल्दी हमारे भोजन का अनिवार्य अंग है। इसमें पाया जाने वाला कुरकुमिन एक शक्तिशाली एंटीऑक्सीडेंट होता है, जो वातावरण के हानिकारक तत्वों से लड़कर कई बीमारियों और उम्र बढ़ने के प्रभाव को कम करता है। हल्दी सूजन में एक दवा के समान कार्य करती है और जोड़ों के दर्द में आराम पहुंचाती है। शोध बताते हैं कि हल्दी अल्जाइमर्स के खतरे को कम करती है।
मिर्च (लाल और हरी)
मिर्च मेटाबॉलिज्म को 50 प्रतिशत तक बढ़ाकर पाचन क्रिया बेहतर करती है। मिर्च रक्त नलिकाओं को स्वस्थ्य रखने में सहायक है। हरी मिर्च में एंटी ऑक्सीडेंट्स होते हैं, जो हानिकारक तत्वों से शरीर की रक्षा करते हंै। इसके विटामिन ए, बी और सी रोग प्रतिरोधी क्षमता बढ़ाते हैं। इसे संतुलित मात्रा में लेना चाहिए।
और भी कई लाभ हैं मसालों के
चीन में हुए एक शोध के अनुसार जो लोग सप्ताह में दो या अधिक बार मसालेदार भोजन का सेवन करते हैं, उनकी असमय मृत्यु होने का खतरा लगभग 10 प्रतिशत तक कम हो जाता है। इसी तरह कनाडा में हुए एक शोध के अनुसार 2 ग्राम अदरक के रस का नियमित सेवन आंतों के कैंसर का खतरा कम करता है।
मसालों के कई और फायदे भी हैं
0 मसाले कैलरी की खपत तेज कर वजन कम करने में सहायक होते हैं।
0 ये मेटाबॉलिज्म को तेज करते हैं, जिससे भोजन का पाचन अच्छा होता है।
0 छाती की जकड़न को कम करते हैं।
0 ये इम्यून तंत्र को बेहतर कर सर्दी-जुकाम से लड़ने में सहायता करते हैं।
0 मसालों का सेवन पाचक एंजाइम्स को बढ़ाता है।
0 सर्दियों में रक्त नलिकाएं थोड़ी सिकुड़ जाती हैं, मसालों का सेवन इन्हें सामान्य करने में सहायता करता है।
0 मसालेदार भोजन मूड अच्छा करने वाले हार्मोन्स एंडोरफिन और सेरोटोनिन का स्तर बढ़ाता है।
ज्यादा न खाएं मसाले
थोड़ी मात्रा में मसालों का सेवन जरूरी है, लेकिन अधिक मात्रा में मसाले खाने से पेट में अम्ल की मात्रा बढ़ जाती है, जो अल्सर का कारण बन जाती है। इसके अलावा मसाले अधिक खाने से और भी कई स्वास्थ्य समस्याएं हो सकती हैं-
0 नियमित रूप से तेज मसालेदार खाना खाने से स्वाद कलियों को नुकसान पहुंचता है, इससे आगे चलकर स्वाद को पहचानने में समस्या हो सकती है।
0 अधिक मात्रा में मसालों का सेवन पेट की अंदरूनी पर्त को क्षतिग्रस्त कर सकता है, जिससे गैस्ट्राइटिस, स्टमक अल्सर और आंतों से संबंधित कोलाइटिस जैसी समस्याएं भी हो सकती है।
0 अधिक मसालेदार भोजन से हार्ट बर्न और एसिड रिफ्लेक्स की समस्या हो सकती है।
0 गर्मियों में मसालों का सेवन कम करें।