चंडीगढ़ शिक्षा विभाग पिछले वर्ष खराब आए 10वीं के परिणाम को लेकर इतना गंभीर है की आनन-फानन में ऐसा फरमान जारी कर दिया, जो शिक्षकों के लिए सिर दर्द बन गया है।
शिक्षकों को समझ नहीं आ रहा कि वे अपनी कक्षा के छात्रों पर ध्यान दें या अन्य कक्षाओं के ऑब्जर्वेशन के लिए लगाई ड्यूटी पर। दरअसल शिक्षा विभाग ने सभी स्कूलों में कार्यरत शिक्षकों को एक लर्निंग आऊटकम के नाम से वर्क बुक दी है
हर शिक्षक को उतनी ही वर्क बुक दी गई है, जितनी कक्षाओं को वे पढ़ाते हैं। अगर कोई शिक्षक एक दिन में 8 कक्षाएं भी लेता है तो उसे आठ वर्क बुक तैयार करनी होंगी और हर क्लास में उस वर्क बुक को अपने साथ ही लेकर जाना होगा। शिक्षा विभाग की ओर जारी निर्देशों के अनुसार सभी स्कूलों के पहली से 10वीं कक्षा तक के सब्जैक्ट टीचर्स को अपने क्लास के छात्रों को चैप्टर पढ़ाकर उनसे प्रश्न करने होंगे कि कौन-सा छात्र कितना सुनाता है और उसका शैक्षणिक स्तर कितना है।
इस आधार पर हर एक छात्र को अंक या ग्रेड देने होंगे, जिन्हें दी गई वर्क बुक में लिखना होगा। इसके बाद बनाए गए ऑब्जर्वेशन टीचर्स आकर उन बच्चों से फिर से प्रश्न करेंगे और देखेंगे कि क्या सब्जैक्ट टीचर ने सभी बच्चों को अंक या ग्रेड सही दिया है या नहीं। अगर उन्हें लगता है कि किसी बच्चे को अंक या ग्रेड कम या ज्यादा दिए गए हैं वे उस पर ऑब्जैक्शन भी उठा सकते हैं। यह प्रक्रिया यहीं खत्म नहीं होगी। इसके सी.आर.सी. मैंबर्स और उसके बाद स्कूल प्रिंसीपल्स भी बच्चों से प्रश्न कर उन्हें चैक करेंगे
अन्य क्लास के छात्रों की भी तैयार करनी पड़ती है बुक
शिक्षा विभाग का शुरू किया गया लर्निंग आऊटकम वर्क बुक सिस्टम शिक्षकों के लिए सिरदर्दी बन गया है। शिक्षकों को ये वर्क बुक सिर्फ अपनी क्लास की ही नहीं, बल्कि अन्य कक्षाओं के छात्रों की भी तैयार करनी है।
शिक्षकों का कहना है कि सबसे बड़ी सिरदर्दी यह है कि कई बार जो प्रश्न वे किसी चैप्टर से पूछते हैं तो जरूरी नहीं कि वहीं प्रश्न अन्य ऑब्जर्वेशन के लिए आने वाले शिक्षक भी पूछें। वहीं एक बार क्लास टीचर के कहने पर बच्चे को पूछे गए प्रश्न का आंसर नहीं आता तो यह तो स्वाभाविक ही है कि अगली बार जब प्रश्न किया जाएगा तो बच्चा सही बताएगा। ऐसा होने से हम शिक्षकों पर सवाल उठते हैं कि हमने बच्चों के साथ पक्षपात किया है।
अपनी क्लास को कब पढ़ाएं?
शिक्षकों का कहना है कि पिछले वर्ष 9वीं-10वीं का परिणाम इतना खराब आया था, लेकिन इसके बावजूद शिक्षा विभाग शिक्षकों को अन्य कामों से फ्री करने की बजाय उन्हें और अधिक झमेलों में फंसा रहा है। इसके चलते हम सभी बच्चों को पढ़ा ही नहीं पा रहे हैं। ऐसे में भला बच्चों का परिणाम कैसे अच्छा आएगा क्योंकि हम सभी क्लासिज की वर्क बुक ही तैयार करते रह जाते हैं।