नेताजी सुभाष चंद्र बोस के गैनमैन रहे स्वतंत्रता सेनानी भलेराम कोहाड़ का 99 वर्ष की आयु में निधन हो गया है। हरियाणा के बरवाला के गांव हसनगढ़ निवासी भलेराम कोहाड़ नेता जी की आजाद हिंद फौज में सिपाही थे। गांव में ही उनका अंतिम संस्कार कर दिया गया है।
उनके सबसे बड़े बेटे सतबीर सिंह ने उन्हें मुखाग्नि दी। भलेराम पिछले कुछ दिनों से अस्वस्थ चल रहे थे। इसके चलते बुधवार शाम को उनका हृदयगति रुकने से निधन हो गया था। प्रशासन की ओर से उनके अंतिम संस्कार में शामिल होने के लिए नायब तहसीलदार प्रकाशवीर व थाना प्रभारी प्रहलाद सिंह पहुंचे। पुलिस के 7 जवानों ने उन्हें अंतिम सलामी भी दी।
वहीं उकलाना के विधायक अनूप धानक सहित क्षेत्र के कई राजनैतिक, सामाजिक व धार्मिक संगठनों के पदाधिकारियों व ग्रामीणों ने उनकी आत्मा की शांति के लिए प्रार्थना की। गौरतलब है कि भलेराम ने कई देशों में घूमते हुए उन्होंने नेताजी के साथ आजादी की लौ को जिंदा रखा और 16 जून 1945 को उन्हें गिरफ्तार कर रंगून की जेल में डाल दिया गया था।
सवा साल जेल में रहने के बाद जब देश आजाद हुआ तो उन्हें वापस भारत भेजा गया। स्वतंत्रता सेनानी भलेराम को वर्तमान राष्ट्रपति रामनाथ कोविंद व प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी दिल्ली में आयोजित कार्यक्रम में सम्मानित कर चुके हैं। भलेराम के भतीजे कुलदीप कोहाड़ ने बताया कि उनके परिवार में 85 वर्षीय पत्नी गिन्ना देवी, चार बेटे व दो बेटियां हैं। बड़े बेटे सतबीर खेती करते हैं जबकि दूसरे नंबर के रणधीर स्कूल में हेडमास्टर हैं। तीसरे बेटे रणबीर सिंह चंडीगढ़ पुलिस में सब इंस्पेक्टर व चौथे राजबीर सिंह डीपीई के पद पर कार्यरत हैं।
ग्रामीणों ने की स्मारक बनाने की मांग
गांव हसनगढ़ ने देश और प्रदेश को इतने वीर सपूत दिए हैं जिनका राष्ट्र की स्वतंत्रता और रक्षा में अतुल्य योगदान है। इसे स्वतंत्रता सेनानियों, देशभक्त सैनिकों, अफसरों और खिलाड़ियों का गांव कहा जाए तो कोई अतिशयोक्ति नहीं होगी। हसनगढ़ गांव ने देश को आजादी में योगदान देने के लिए एक नहीं 5 स्वंतंत्रता सेनानी दिए। इनमें मोमनराम नैन, खेमचंद चहल, भलेराम, दलीप सिंह, कलीराम शामिल हैं। ग्रामीणों ने सरकार से मांग की है कि स्वतंत्रता सेनानियों की याद में गांव में शहीद स्मारक व अन्य यादगार स्थान बनना चाहिए।