नदियों में बढ़ते प्रदूषण और उस पर पंजाब सरकार की उदासीनता को लेकर नाराज एनजीटी ने पंजाब सरकार पर 50 करोड़ रुपए का जुर्माना ठोक दिया है. मामला सतलुज और व्यास नदी में लगातार औद्योगिक अपशिष्ट डाले जाने का है. इसके अलावा जालंधर लुधियाना समेत पंजाब के कई इलाकों में म्युनिसिपल कॉरपोरेशन भी कूड़े-कचरे को सीधी नदियों में बहा रहे थे. इन दोनों नदियों के गंदे पानी को ट्रीट करने के लिए भी पंजाब सरकार की तरफ से कोई व्यवस्था नहीं थी.
ज़्यादातर जगहों पर सीवेज ट्रीटमेंट प्लांट (एसटीपी) लगे हुए नहीं थे और जहां लगे हुए भी थे वह काम करने की हालत में नहीं थे. इसके कारण सिर्फ पंजाब प्रभावित नहीं हो रहा था बल्कि राजस्थान के 8 जिलों को भी इस प्रदूषित पानी की समस्या से दो-चार होना पड़ रहा था. पंजाब सरकार और लोकल सिविक एजेंसीज को आम लोगों ने भी इस समस्या को लेकर काफी लिखा लेकिन सरकार की तरफ से इस समस्या को दूर करने के उपाय नहीं किए गए जिसके बाद यह मामला एनजीटी पहुंचा.
पंजाब सरकार इसके लिए दोषी
नाराज कोर्ट ने सतलुज और व्यास नदी को गंदा करने के मामले में जुर्माना लगाने से पहले एक कमेटी का गठन भी किया. इस कमेटी ने अलग-अलग जगहों पर जाकर सतलुज और व्यास नदी का निरीक्षण किया और नदी के गंदा होने के कारणों का पता लगाया. कमेटी ने जो रिपोर्ट एनजीटी को सौंपी उससे साफ हो गया कि पंजाब सरकार इसके लिए दोषी है.
रकम औद्योगिक इकाइयों से वसूली जाएगी
कोर्ट ने पंजाब सरकार को एक हफ्ते में 50 करोड़ रुपये की रकम सेंट्रल पॉल्यूशन कंट्रोल बोर्ड को जमा करने के निर्देश दिए है. कोर्ट ने यह भी निर्देश दिए हैं कि यह रकम औद्योगिक इकाइयों से वसूली जाएगी जिन्होंने अपने अपशिष्ट को नदियों में बहाया हैं. कोर्ट ने पंजाब सरकार से साफ कह दिया है कि 50 करोड़ का यह जुर्माना जनता के टैक्स से नहीं भरा जाएगा.
पंजाब सरकार को 50 करोड़ रुपए का जुर्माना
इसके अलावा पंजाब सरकार को 3 महीने में विस्तृत एक्शन प्लान बनाने के लिए एनजीटी ने निर्देश दिए हैं. बस में पानी को साफ करने के साथ-साथ औद्योगिक इकाइयों के की गंदगी को नदियों में जाने से रोकने की व्यवस्था करना भी शामिल है. एनजीटी इस मामले में अगली सुनवाई अब फरवरी में करेगा लेकिन उससे पहले पंजाब सरकार को 50 करोड़ रुपए का जुर्माना भी भरना होगा और अपना पूरा एक्शन प्लान तैयार करके कोर्ट को सौंपना होगा.