जितने पानी की जरूरत, उतनी हो रही अंडर ग्राऊंड लीकेज
शहर में अंडर ग्राउंड लीकेज और कॉलोनियों में स्टैंड पोस्ट के चलते 25 प्रतिशत पानी की बर्बादी हो रही है, यानि 20 मिलियन गैलन डेली (एम.जी.डी.) पानी व्यर्थ बह रहा है। इसे लेकर निगम ने कंसल्टैंट से पिछले साल सर्वे भी करवाया था, जिसमें भी यही बात सामने आई थी, लेकिन बावजूद इसके निगम अभी तक इस समस्या का हल नहीं निकाल पा रहा है।
वहीं दूसरी तरफ शहरवासियों को पानी की भारी किल्लत का सामना करना पड़ रहा है। शहर में इस समय 29 एम.जी.डी. पानी की कमी चल रही है। निगम अधिकारियों ने भी पानी की इस बर्बादी पर हाथ खड़े कर दिए हैं, जिनका दावा है कि स्मार्ट सिटी प्रोजैक्ट के अंदर ही लीकेज की इस समस्या का हल निकल पाएगा।
बर्बाद हो रहे पानी से 50 हजार घरों में हो सकती है आपूर्ति : बता दें कि निगम ने नॉन रैवेन्यू वाटर का पता लगाने के लिए मुंबई गेस्ट डी.आर.ए. कंसल्टैंट हायर किया था, जिसने पिछले वर्ष निगम को अपनी रिपोर्ट सबमिट की थी। उसी रिपोर्ट में इन सभी बातों का खुलासा हुआ था। गटर में बह रहे 20 एम.जी.डी. पानी से 50 हजार घरों की जरूरत पूरी हो सकती है और 15 साल से इस लीकेज से निगम को हर साल 15 करोड़ रुपए की हानि हो रही है।
निगम ने मिनिस्ट्री ऑफ अर्बन डिवैल्पमैंट गवर्नमेंट के निर्देशों पर गत वर्ष अक्टूबर में कंसल्टैंट हायर किया था, ताकि शहर में नॉन रैवेन्यू वाटर का पता लगाया जा सके। रिपोर्ट में कहा गया था कि अंडरग्राउंड वाटर सप्लाई लाइन में लीकेज, कॉलानियों मेें बिना मीटर चल रहे स्टैंड पोस्ट और रेजिडेंशियल एरिया में बिना मीटर वाटर कनैक्शन के चलते ही ये बर्बादी हो रही है।
फ्रैंच कंपनी ने भी रिपोर्ट में दी थी जानकारी
यहां तक कि स्मार्ट सिटी के काम के लिए हायर की गई फ्रैंच कंपनी इगिस इंटरनैशनल ने भी अपनी रिपोर्ट में 25 प्रतिशत पानी की बर्बादी लीकेज के जरिए बताई थी। कंसल्टैंट ने अपनी रिपोर्ट में कहा कि शहर में 24 घंटे पानी की सप्लाई कजोली से फेज-5,6 से 29 एम.जी.डी. पानी मिलने के बाद ही शुरू की जा सकेगी। इस संबंध चीफ इंजीनियर मनोज बंसल ने बताया कि स्मार्ट सिटी के 24 घंटे वाटर सप्लाई प्रोजैक्ट के अंदर ही लीकेज की इस समस्या का समाधान होगा।
प्रोजैक्ट के तहत इम्प्रूव स्काडा सैंटर लगेगा, जिससे पाइप लाइन में लीकेज पकड़ी जा सकेगी और उसका समाधान हो सकेगा। उन्होंने कहा कि पहले मनीमाजरा में 120 करोड़ रुपए की लागत से पायलट प्रोजैक्ट पूरा किया जाना है, जिसका टैंडर चुनाव के बाद लगाया जाएगा। इसी तरह पूरे शहर के प्रोजैक्ट के लिए उन्होंने केंद्र से फंड मांगा है, जो 700 से 800 करोड़ का प्रोजैक्ट है।
कई बार निगम बैठक में उठा पानी की बर्बादी का मुद्दा
निगम की हाउस की मीटिंग में भी कई बार पानी की बर्बादी का मुद्दा उठा, लेकिन इस पर कोई कार्रवाई नहीं हुई। पूर्व मनोनीत पार्षद सुरिंदर बाहगा ने भी कई बार हाउस में इस मुद्दे को उठाया था कि शहर में 25 प्रतिशत पानी की बर्बादी लीकेज के चलते हो रही है और अगर उस पर काबू पा लिया जाता है तो निगम की पानी की कमी पूरी हो जाएगी, लेकिन आज तक निगम इस पर कुछ नहीं कर पाया है।
इस समय निगम के पास 87 एम.जी.डी. पानी है, जिसमें से 67 एम.जी.डी. पानी कजौली के चार फेज से आ रहा है, जबकि बाकी का 20 एम.जी.डी. पानी ट्यूबवैलों से आ रहा है, लेकिन इस समय जरूरत 116 एम.जी.डी. पानी की है, इसलिए 29 एम.जी.डी. पानी की कमी है। यही कारण है कि गर्मियों में डिमांड बढऩे के साथ ही पानी की किल्लत भी शुरु हो जाती है।