3695 करोड़ रुपये की धोखाधड़ी के मामले में रोटोमैक समूह के चेयरमैन विक्रम कोठारी पर सीबीआई और प्रवर्तन निदेशालय (ईडी) ने शिकंजा कस दिया है। कानपुर में समूह के तीन परिसरों पर एक साथ छापेमारी कर हजारों दस्तावेज सीज कर दिए गए हैं। देर रात तक जांच चल रही थी। दिल्ली स्थित उनके आवासीय परिसर और कंपनी निदेशकों के ऑफिस को भी सील कर दिया गया है। बैंक ऑफ बड़ौदा की शिकायत पर सीबीआई ने विक्रम कोठारी, उनकी पत्नी आदि के खिलाफ धोखाधड़ी और ईडी ने मनी लॉड्रिंग एक्ट के तहत केस दर्ज किया है।
रोटोमैक समूह के मालिक की तिलक नगर स्थित कोठी ‘संतुष्टि’ पर केंद्रीय खुफिया एजेंसी ने तड़के चार बजे छापा मारकर विक्रम कोठारी, पत्नी साधना कोठारी और बेटे राहुल कोठारी को हिरासत में लिया। दूसरी टीम ने माल रोड सिटी सेंटर स्थित रोटोमैक ग्लोबल के मुख्यालय पर धावा बोला। तीसरी टीम ने शाम को पनकी स्थित रोटोमैक फैक्ट्री पर छापेमारी की। रोटोमैक ग्लोबल पर सात बैंकों का 3695 करोड़ का लोन और ब्याज बकाया है। बैंक आफ बड़ौदा की शिकायत पर दर्ज एफआईआर में बैंक ने कंपनी के निदेशकों पर धोखाधड़ी करके 616.69 करोड़ रुपये का लोन हासिल करने का आरोप लगाया है। इस मामले में सीबीआई ने रोटोमैक ग्लोबल प्राइवेट लिमेटेड के निदेशकों विक्रम कोठारी, साधना, राहुल और बैंक ऑफ बड़ौदा के अज्ञात अधिकारियों के खिलाफ धोखाधड़ी का मामला दर्ज कराया है।
इन धाराओं में केस दर्ज
सीबीआई ने यह मुकदमा 18 फरवरी को नई दिल्ली में ही दर्ज किया जिसमें आईपीसी की धारा 420, 467, 468 व 471 के अलावा प्रिवेंशन आफ करप्शन एक्ट 1988 की धारा 13 (2) व 13 (1) (डी) लगाई गई है। इसमें मेसर्स रोटोमैक ग्लोबल प्राइवेट लि. कानपुर के अलावा इसके तीनों निदेशकों और अज्ञात बैंक अधिकारियों को नामजद किया गया है।
किन बैंकों से लिया कर्ज
एफआईआर में कहा गया है कि रोटोमैक ग्रुप ने धोखाधड़ी कर सात बैंकों से 2919 करोड़ रुपये का लोन लिया, जिसे अदा नहीं किया गया। ब्याज मिलाकर यह रकम 3695 करोड़ रुपये है। रकम बैंक ऑफ इंडिया, बैंक ऑफ बड़ौदा, बैंक ऑफ महाराष्ट्र, इंडियन ओवरसीज बैंक, यूनियन बैंक, इलाहाबाद बैंक और ओरियंटल बैंक ऑफ कॉमर्स की है। छापेमारी के बाद सीबीआई अफसरों ने विक्रम कोठारी, साधना और राहुल से पूछताछ की। उनके मोबाइल कब्जे में ले लिए गए। उनके बयानों को रिकॉर्ड किया गया और आवास से चार अटैचियों को जब्त किया। इसी तरह फैक्ट्री में कर्मचारियों से पूछताछ के अलावा बड़ी संख्या में दस्तावेजों को कब्जे में लिए हैं।
दिल्ली की सम्पति सील
सीबीआई ने विक्रम कोठारी और रोटोमैक कंपनी से जुड़ी सम्पति को नई दिल्ली में सील कर दिया है। बताया गया कि यह सम्पति आवासीय है और रोटोमैक का एक ऑफिस भी है। कानपुर से जब्त किये गए संपत्ति के दस्तावेजों की जांच का भी काम चल रहा है। गौरतलब है कि पंजाब नेशनल बैंक में हुए 11,400 करोड़ रुपये घोटाले के बाद कोठारी ग्रुप पर सीबीआई ने शिकंजा कसा है।
कैसे किया विक्रम कोठारी ने घोटाला
रोटोमैक कंपनी को 7 बैंकों ने लोन दिया था। विक्रम कोठारी पर यूनियन बैंक ऑफ इंडिया मुंबई शाखा की 485 करोड़, इलाहाबाद बैंक कोलकाता शाखा की 352 करोड़, बैंक ऑफ बड़ौदा (लीड बैंक) की 600 करोड़, बैंक ऑफ इंडिया की 1365 करोड़ और इंडियन ओवरसीज बैंक की 1000 करोड़ रुपए की बकाएदारी है। बैंकों का आरोप है कि विक्रम कोठारी ने कथित तौर पर न लोन की रकम लौटाई और न ही ब्याज दिया। इस पर रिजर्व बैंक ऑफ इंडिया के दिशानिर्देशों पर ऑथराइज्ड जांच कमेटी गठित की गई। कमेटी ने 27 फरवरी 2017 को रोटोमैक ग्लोबल प्राइवेट लि. को विलफुल डिफाल्टर (जानबूझकर कर्ज नहीं चुकानेवाला) घोषित कर दिया। कमेटी ने लीड बैंक की पहल पर यह आदेश पारित किया था।
13 अप्रैल 2017 को इलाहाबाद हाईकोर्ट ने रोटोमैक ग्लोबल को उसकी उन संपत्तियों का ब्योरा पेश करने का निर्देश दिया जिनका बॉब को भुगतान किया गया है। कंपनी ने दलील दी कि रोटोमैक द्वारा चूक की तिथि के बाद से इस बैंक को 300 करोड़ से अधिक मूल्य की संपत्तियों की पेशकश किए जाने के बावजूद बॉब ने उसे इरादतन चूककर्ता घोषित कर दिया। बैंक की ओर से पेश वकील अर्चना सिंह ने कहा था कि कंपनी को अपने बकाए का निपटान करने के लिए 550 करोड़ रुपये का भुगतान करना है।
इन कंपनियों के भी डारेक्टर हैं कोठारी
– मोहन स्टील्स लिमिटेड (1 मार्च, 2005)
– कोठारी फूड्स एंड फ्रेगरेंस (25 फरवरी, 2014)
– वेस्ट कोस्ट एक्सट्रूजन (30 सितम्बर, 2011)
– रोटोमैक पॉलीमर्स प्रा. लि. (2 सितम्बर, 1998)
– क्राउन एल्बा राइटिंग इंस्ट्रूमेंट्स (1 फरवरी, 2005)
– आनंदेश्वर निर्माण प्रा. लि. (24 जनवरी, 2011)
– सनराइज ग्लोबल (3 मार्च 2009)
– रोटोमैक स्पोर्ट्स (5 फरवरी, 2002)
– आरएफएल इंफ्रास्ट्रक्चर्स (25 मई, 1995)
– रोटोमैक एक्जिम प्रा. लिमिटेड (24 सितम्बर, 2008)
– रेव मोती इंटरटेनमेंट (12 मई 2012)