जैसा कि अनुमान लगाया जा रहा था कि सुखना लेक में वाटर लेवल बढऩे का असर माईग्रेटरी बर्ड्स की संख्या पर पड़ सकता है। रविवार को जब चंडीगढ़ बर्ड क्लब ने वाटर फाऊल सैंसस एंड स्पीसिज काऊंट का काम खत्म किया गया तो इस बात की पुष्टि हो गई। सुखना लेक, सुखना फॉरेस्ट और नगर वन में हुए सैंसस के दौरान 417 वाटर फाऊल ही दर्ज किए गए।
जबकि पिछले साल 12 नवम्बर को यह संख्या 717 पहुंची हुई थी। हालांकि स्पीसीज की बात की जाए तो यहां थोड़ा इजाफा हुआ है। 2017 में जहां 91 स्पीसीज सामने आई थी वहीं रविवार को यह संख्या बढ़कर 98 बताई गई। विशेषज्ञों की मानें तो स्पीसीज बढऩे की वजह से नगर वन के विस्तार को भी माना जा सकता है। डॉ. सलीम अली की बर्थ एनिवर्सरी के उपलक्ष्य में हुई पक्षियों की गणना का काम तीन टीमों ने मिलकर किया। विशेषज्ञों की मानें तो लेक में वाटर लैवल काफी अधिक है इसलिए कम ही माइग्रेटरी बर्ड्स ने इस साल लेक में अपना ठिकाना बनाया है।
ये लोग थे टीम में
एम.एस. सेखों, एच.एस. पठानिया, प्रवीन मल्होत्रा, महेश गर्ग, सय्यम नागर, रीमा ढिल्लो, मोहित कोहली, अल्पना एन.पी. सिंह, सिम्मी वरैच, सुमन, अमनदीप सिंह, रिक तूर, विकास शर्मा और राजीव दास।
कई प्रवासी पक्षियों ने नहीं दी दस्तक
नवम्बर के पहले सप्ताह में ही सुखना लेक या इसके आसपास काफी संख्या में माईग्रेटरी बड्र्स के आने का सिलसिला शुरू हो जाता है। लेकिन अभी तक कई ऐसी प्रजातियां हैं जो लेक में नहीं पहुंच पाई। इनमें बार-हेडेड गीज, रेड क्रेस्टिड पोचार्ड और ब्राऊन हेडिड गल्स के नाम प्रमुख तौर पर शामिल हैं। ये प्रवासी पक्षी पिछले साल इस समय लेक में देखे गए थे। हालांकि ऑस्प्रे, बार-टेल्ड ट्रीक्रीपर, एशी ड्रोंगो और पेरीग्रीन फैल्कन ऐसी बर्ड्स हैं जो इस साल यहां नई देखी गई हैं। पिछले साल ये बर्ड्स नहीं आई थी।
सबसे अधिक मिली कॉमन पोचार्ड
गणना के दौरान सबसे अधिक कॉमन पोचार्ड को पाया गया। यहां इनकी संख्या 103 दर्ज की गई है जबकि 71 ब्राह्मिनी डक्स को भी यहां देखा गया। इनके अतिरिक्त 39 कॉमन कूट, 33 गेडवाल, 20 नॉर्दन पिनटेल और 18 इंडियन स्पॉट-बिल्ड डक यहां पाई गई। टफ्टेड डक, ग्रेट एग्रेट, पर्पल हेरोन, ग्रीन सैंडपाइपर और रिवर टर्न प्रजाति के केवल एक-एक ही पक्षी ही यहां देखे गए। पानी में रहने वाली कुल 31 प्रजाति के पक्षी इनमें शामिल थे।