वूमेन्स डे पर इस बेटी के जज्बे को सलाम। लोग एमबीए करके अच्छी नौकरी की तलाश करते हैं, लेकिन इस युवती ने पक्की जॉब छोड़ खाने की रेहड़ी लगा दी।
मोहाली के इंडस्ट्रियल एरिया फेज आठ में वह रोजाना एक से तीन बजे तक अपनी रेहड़ी लगाती है। रिलायंस में एचआर की जमी-जमाई जॉब छोड़कर उसने खाने की रेहड़ी खोली है। नाम हैं राधिका अरोड़ा। राधिका की रेहड़ी पर राजमा-चावल, कढ़ी-चावल, दाल-चावल, रोटी सब्जी सहित वह सब है, जो घर में बनते हैं। इसका स्वाद वैसा ही लगेगा, जैसे मां के हाथ से बने खाने का होता है। इसीलिए राधिका ने रेहड़ी का नाम मां का प्यार रखा है।
मूल रूप से अंबाला की रहने वाली राधिका अरोड़ा ने बताया कि बीकॉम की पढ़ाई के बाद एमबीए करने के लिए वह चंडीगढ़ आ गई। लांडरां ग्रुप ऑफ कॉलेजेज से एमबीए की पढ़ाई के दौरान उसे पीजी में रहना पड़ता था। पढ़ाई ठीक चल रही थी, लेकिन पीजी का खाना परेशान करता था। न तो स्वाद होता और न ही पका होता। ऊपर से पैसे काफी देने पड़ते थे। ऐसे में राधिका अपनी मां के पकाए खाने का बहुत मिस करती थी।
यहीं से राधिका को आइडिया आया और उसने ठान लिया कि वह कुछ ऐसा करेगी कि वर्किंग लोगों को घर का खाना मिले। हालांकि इसके लिए राधिका को सबसे पहले घर वालों को मनाना पड़ा। राधिका के पिता गैस एजेंसी चलाते हैं। जब राधिका ने बताया कि वह अपनी नौकरी छोड़कर खाने की रेहड़ी लगाना चाहती है तो यह सुनकर घर वाले हैरान रह गए।
उन्होंने राधिका को मनाने की कोशिश की, लेकिन वह अपनी जिद पर अड़ी रही। काफी जद्दोजहद के बाद आखिरकार पैरेंट्स मान गए और रेहड़ी खोलने की परमिशन दे दी। राधिका ने बताया कि फूड बिजनेस में उसने अपनी सेविंग लगाई है। जॉब के दौरान उसने जो पैसा बचाया था, उसका इस्तेमाल फूड कार्ट में किया। वह रोजाना 70 प्लेट खाना बनाती है। दोपहर एक से लेकर तीन बजे तक उसकी रेहड़ी पर खाना मिलता है।
फोटोग्राफी और पेंटिंग का शौक रखने वाली राधिका ने बताया कि इस ठेले को उसने खुद से सजाया। अब वह चंडीगढ़ आईटी पार्क में भी ऐसा ठेला खोलने पर विचार कर रही है, जहां लंच के साथ-साथ, ब्रेकफास्ट की सर्विस शुरू करेगी। वह कहती है कि जिस प्रकार मां का प्यार फूड कार्ट पर लोग आ रहे हैं उससे मुझे उम्मीद जगी है कि भविष्य में वह खुद का होटल खोल सकती है।