आदेशों को चुनौती देते हुए घर से न निकाले जाने की अपील की
72 वर्षीय विधवा महिला को परेशान व जलील करने वाले बेटे-बहू को पंजाब-हरियाणा हाईकोर्ट ने किसी भी प्रकार की राहत देने से इनकार कर दिया है। दोनों ने याचिका दाखिल करते हुए डीएम केआदेशों को चुनौती देते हुए घर से न निकाले जाने की अपील की थी। हाईकोर्ट ने याचिका खारिज करते हुए साफ कर दिया कि जिंदगी के आखिरी दौर में सीनियर सिटीजन को उनके बच्चों के हाथों जलील होने के लिए नहीं छोड़ा जा सकता। इसलिए बेटे और बहू को मकान खाली करना होगा।
मामले में याचिका दाखिल करते हुए सीनियर सिटीजन महिला के बेटे, बहू व तीन नाबालिग बच्चों की ओर से डीसी के आदेशों को चुनौती दी गई थी। याचिका में कहा गया कि 1 जून 2017 को डीसी चंडीगढ़ ने उनकी मां की याचिका पर सुनवाई करते हुए उन्हें मकान खाली करने के आदेश दिए थे। याचिकाकर्ता ने कहा कि मेंटेनेंस एंड वेलफेयर ऑफ पेरेंट्स एंड सीनियर सिटीजन एक्ट 2007 के तहत डीसी को उनकी मां की अपील सुनने का अधिकार नहीं था। इस अपील को केवल ट्रिब्यूनल ही सुन सकता है।
ट्रिब्यूनल के फैसले के खिलाफ अपील का भी प्रावधान होता है लेकिन यहां डीसी ने यह कार्य किया है। इसके साथ ही याचिका कर्ता ने कहा कि उनके पिता की मौत 2005 में हो गई थी और उससे पहले याची दुबई में था। जिस प्रॉपर्टी से उन्हें निकाला गया है उसके निर्माण के लिए याची ने दुबई से पैसा भेजा था।