इन सड़कों पर लगे पेड़ों का खतरा ज्यादा
बारिश होने पर चंडीगढ़ की सड़कों पर जरा संभल कर चलें, जान को खतरा हो सकता है। जान भी जा सकती है, इसकी वजह भी जान लिजिए। दरअसल, पिछले दिनों हुई मूसलाधार बारिश पेड़ों के लिए आफत बनकर आई। बारिश इतनी तेज हुई कि पेड़ों की जड़ों से मिट्टी बह गई है। अब इन पेड़ों की जड़े साफ दिख रही हैं।
विशेषज्ञ का मानना है कि यदि समय रहते इनका ख्याल नहीं रखा गया तो तेज बारिश या आंधी आने पर पेड़ों के गिरने का खतरा है। इससे कभी भी दुर्घटना हो सकती है। हालांकि नगर निगम की हार्टिकल्चर विंग का कहना है कि पेड़ों की जड़ें गहरी होती है। जड़ें दिखने के बावजूद पेड़ नहीं गिर सकते। फिर भी सुरक्षा के लिए कदम उठाए जा रहे हैं, ताकि पेड़ों को सपोर्ट मिल सके।
इन सड़कों पर लगे पेड़ों का खतरा ज्यादा
तेज बारिश का सबसे ज्यादा असर सेक्टर 18-19 की डिवाइडिंग पर लगे पेड़ों पर हुआ है। इनमें पिलखन और अर्जुन के पेड़ शामिल हैं। इनकी जड़ों को सपोर्ट देने के लिए मिट्टी के घेरे बने थे, जो वीरवार को हुई बारिश में बह गई है। करीब दो से तीन फुट लंबी जड़ें साफ दिख रही हैं। यही हाल सेक्टर-दस में लगे पेड़ों का है। सेक्टर-16 में भी ऐसी जड़ें देखी जा सकती हैं। वीरवार को हुई तेज बारिश से सेक्टर-16 का पेड़ जड़ से उखड़ गया था। ऐसा ही एक पेड़ राजभवन चौक पर भी गिरा था।
जड़ों के आगे बढ़ने का रास्ता रुका
दो साल पहले पंजाब एग्रिकल्चर यूनिवर्सिटी के हार्टिकल्चर स्पेशलिस्ट डॉ. सतीश नारुला ने एक किताबट्री रेमिडी जारी की थी। इसमें उन्होंने उल्लेख किया था कि चंडीगढ़ के अधिकतर पेड़ों पर खतरा है। पेड़ों के आसपास जेसीबी मशीन से खुदाई की जा रही है। उन्हीं के पास साइकिल ट्रैक बना दिए गए हैं। सर्विस रोड भी उनके नजदीक से निकाली जा रही है। इससे जड़ों के विकास का रास्ता बंद हो गया है। इससे पेड़ों पर खतरा और बढ़ गया है।
पेड़ों की उम्र भी ज्यादा हो गई है
जानकारों ने बताया कि सेक्टर-18/19 की डिवाइडिंग रोड पर लगे पिलखन और अर्जुन के पेड़ों की उम्र 60 साल से ऊपर हो चुकी है। जबकि इनकी उम्र 65-70 साल के आसपास होती है। इससे खतरा और बढ़ गया है। यदि जल्द ही कोई कदम नहीं उठाए गए तो तेज आंधी या बारिश आने पर कई पेड़ गिर जाएंगे।
यदि पेड़ों की जड़ों से मिट्टी हट गई तो उन्हें दोबारा से लगाना चाहिए। मिट्टी व पत्थर लगा देने से पेड़ों की सुंदरता बढ़ेगी और उन्हें सपोर्ट भी मिलेगा। इससे वह सुरक्षित भी होंगे।
– कर्ण सिंह बामल, रिटायर्ड रेंज आफिसर वन विभाग चंडीगढ़
यदि ऐसा है तो इन्हें चेक कर दिखवाऊंगा। इन पेड़ों की उम्र भी ज्यादा हो गई है। वैसे इन पेड़ों की जड़ें अंदर तक है। गिरने का खतरा ज्यादा नहीं है। फिर भी इन्हें चेक कराऊंगा।
– कृष्णपाल, एक्सईएन, हार्टिकल्चर विंग नगर निगम