महिला ने एक साथ तीन बेटियों को जन्म दिया, लेकिन वह और उसका पति उन्हें अपनाना नहीं चाहते। वे उन्हें घर ले जाने को तैयार नहीं, जानिए क्यों?
मामला हरियाणा के रोहतक का है। दो दिन पहले एक साथ दुनिया में तीन परियां आईं और जन्म के तुरंत बाद अनाथ हो गईं। अब तक न मां मिली है ना मां का प्यार। मां के दूध और उसकी गोद से भी वंचित हैं। भूख से बिलबिलाती हैं तो नर्स उसे थैली का दूध चम्मच से पिला देतीं हैं। पेट भरने के बाद ये सो जाती हैं। नर्स ही इनकी मां बनी हुई हैं और वही इनकी पिता।
ऐसा नहीं हैं कि एक साथ दुनिया में आयीं इन अबोध परियों के माता-पिता नहीं हैं। माता पिता हैं, मगर तीन बेटियों के बाद तीन और बेटियों के घर आने से वे परेशान हैं। कमजोर माली हालत के चलते इनका लालन पालन करने में असक्षम एचआईवी पीड़ित अभिभावकों ने इनसे किनारा करने का मन बना लिया है। ऐसे में मां के दूध व गोद से वंचित नन्हीं परियां भी शायद सही सोच रही हों कि हमारा क्या कुसूर जो हमें जन्म देते ही भुला दिया गया।
दरअसल, पीजीआई के स्त्री रोग एवं प्रसूति विभाग में महेंद्रगढ़ जिले से एक गर्भवती को 30 जनवरी को प्रसूति के लिए लाया गया। उसे खून की कमी के चलते सरकारी अस्पताल से पीजीआई रेफर किया गया। यहां उसने 21 फरवरी को तीन बेटियों को जन्म दिया। बड़ी बेटी का वजन एक किलो 900 ग्राम, उससे छोटी का एक किलो 800 ग्राम व सबसे छोटी को एक किलो 700 ग्राम है।
बेटे की आस लगाए बैठे एचआईवी पीड़ित दंपति को बेटियों के पैदा होने का पता लगा तो उनके सपने चकनाचूर हो गए। पहले से तीन बेटियां घर में होने के चलते तीन और बेटियां पाकर परिवार की आंखें नम हैं। ऐसे में परिवार ने बच्चियों से मुंह मोड़ने का मन बना लिया है। वे चाहते हैं कि उन्हें कोई गोद ले ले। इसके लिए कुछ लोगों से बात भी हुई है। फिलहाल एक सामाजिक संस्था बच्चियों की मदद कर रही है। परिवार को जल्दी ही बच्चियों के गोद लिए जाने की उम्मीद है।
बेटे की चाह में हुईं तीन और बेटियां
पिता ने बताया कि घर में पहले से तीन बेटियां हैं। मजदूरी से बड़ी मुश्किल से उनका पालन पोषण कर पा रहा है। बेटे की उम्मीद में चौथा बच्चा पैदा करने का फैसला लिया था। बेटा तो नहीं हुआ, मगर एक साथ तीन और बेटियां घर आ गई। इन सबका लालन पालन मजदूरी के चार पैसों से मुश्किल है। इसलिए सोच रहे हैं कि इन्हें किसी को गोद दे दें। हमारा इनमें मन पड़ गया तो इन्हें अलग करना मुश्किल होगा। डॉक्टर ने बेटियों को मां का दूध नहीं देने की सलाह दी है। इसलिए वह उनसे अलग है।
मां को ढाई साल पहले पता लगी बीमारी
बच्चियों को जन्म देने वाली मां एचआईवी पॉजीटिव है। उसे इसका ढाई साल पहले ही पता लगा। पिता को वर्ष 2008 में पॉजीटिव घोषित किया गया था। पथरी का ऑपरेशन कराने गए तो बीमारी का पता लगा। बीमारी कैसे और किन परिस्थितियों में लगी, इस बारे में दंपति कुछ नहीं जानता। बच्चियां बीमारी से सुरक्षित बताई जा रही हैं। नवजात बच्चियों के ब्लड सेंपल भी जांच के लिए भेजे गए हैं। वहां से पुष्टि के बाद उनकी स्थिति स्पष्ट हो पाएगी।