हरियाणा का आलू हवा में उगेगा। आलू को मिट्टी जनित रोगों से दूर रखने के लिए अब आलू को एरोपोनिक टैक्नोलॉजी की मदद से हवा में उगाने की तैयारी कर ली गई है। करनाल के शामगढ़ में दो साल पहले पोटैटो टैक्नोलॉजी सैंटर की शुरूआत की गई थी और कुछ महीनों पहले हरियाणा के हॉर्टकल्चर डिपार्टमैंट ने शामगढ़ के सैंटर के लिए इंटरनैशनल पोटैटो सैंटर (सी.आई.पी.) के साथ आलू की किस्मों में सुधार व नई प्रजातियों के उत्पादन के लिए एक करार किया था।
उसी करार के अंतर्गत न सिर्फ हरियाणा में आलू का विदेशी जर्मप्लाजम लाया जा रहा है, बल्कि पेरू के जर्मप्लाजम को मिट्टी की बजाय हवा में उगाने की तैयारी भी कर ली है। सैंटर के वैज्ञानिक आलू की पौध को शुरूआत में ट्रायल के तौर पर हवा में उगाएंगे और बेहतर परिणाम सामने आने के बाद इसी तकनीक से हरियाणा में आलू का उत्पादन किया जाएगा। एरोपोनिक तकनीक के इस्तेमाल का मुख्य उद्देश्य आलू को मिट्टी में मौजूद कीटाणुओं की वजह से उत्पन्न होने वाली बीमारियों से दूर रखना है।
पेरू से आने वाले आलू के जर्मप्लाजम से पहले तो टिश्यू कल्चर तकनीक की मदद से कई पौध तैयार की जाएंगी। उसके बाद इन पौध को हवा में उगाया जाएगा, ताकि आलू का ज्यादा से ज्यादा उत्पादन किया जा सके। चूंकि आलू की पौध पेरू से आएगी और नई तकनीक से विकसित की जाएगी तो हॉर्टकल्चर एक्सपर्ट का मानना है कि ऐसे में आलू की बेहतरीन किस्म तैयार हो सकेगी। विशेषज्ञों का कहना है कि एरोपोनिक तकनीक का इस्तेमाल आमतौर पर अफ्रीकन देश आलू के उत्पादन के लिए कई दशकों से कर रहे हैं और एरोपोनिक तकनीक के बेहतर नतीजे भी सामने आ चुके हैं परंतु देश में 3 साल पहले शिमला स्थित केंद्रीय आलू अनुसंधान संस्थान ने एरोपोनिक तकनीक की मदद से आलू के उत्पादन पर अनुसंधान कार्य शुरू किया था।
अनुसंधान के बेहतरीन नतीजे भी मिले हैं और मिट्टी की बजाय हवा में उगाए गए आलू का उत्पादन कई गुणा ज्यादा मिला है। आलू आमतौर पर अन्य राज्यों की तरह हरियाणा में भी जमीन में ही उगाए जाते हैं। ऐसा कहा जाता है कि अध्ययन के दौरान आलू को थर्माकोल के बॉक्स में छेद कर पौध को डाला गया था और जड़ को नीचे हवा में रखा गया था।
इन जड़ों पर समय-समय पर पोषक तत्वों का छिड़काव किया गया और उन्हें कीटनाशकों से दूर रखा गया। इसी अध्ययन की तर्ज पर हरियाणा में भी आलू का उत्पादन हवा में मिट्टी के बगैर किया जाएगा और पौध की जड़ों पर नियमित तौर पर पोषक तत्वों का छिड़काव किया जाएगा। चूंकि यह पौध कीटनाशकों से दूर रहेगी, इसलिए आलू की बेहतरीन प्रजाति उत्पन्न होगी और हवा में उगे आलू का उत्पादन मिट्टी में उगाए जाने वाले आलू की तुलना में कई गुणा ज्यादा हो सकेगा।