किसी भी इंसान के लिए पॉजिटिव सोच कितनी जरूरी है। 32 साल के दिग्विजय सिंह को देखकर इसका अंदाजा साफ लगाया जा सकता है। लोगों में ओगर्न डोनेशन को लेकर काफी गलत धारणाएं हैं।
उन्हें लगता है कि ट्रांसप्लांट होने के बाद वह कभी नॉर्मल लाइफ नहीं जी पाएगा, लेकिन दिग्विजय को देखकर कोई नहीं कह सकता कि महज 22 साल की उम्र में उनकी किडनी ट्रांसप्लांट हुई थी। जहां भी जाते हैं फिट बॉडी को लेकर सैंटर ऑफ अट्रैक्शन बन जाते हैं।
सोच पर ही सब तय रहता है :
दिग्विजय मानते हैं कि अच्छा लगता है जब लोग मुझसे इंस्पायर होते हैं। ट्रांसप्लांट के बाद लाइफ बदली नहीं है, लगता है यह और बेहतर हो गई है। पहले दवाईयां व डायलसिस पर निर्भर था, लेकिन अब सब अच्छा है। फिट रहने के लिए मैंने जिम शुरू किया था पर पर्सनल ट्रेनर नहीं लिया।
एक जिम में वर्कआऊट करते वक्त मेरा किसी ने मजाक उड़ाया तो बस तभी से वर्कआऊट ज्यादा करने की ठान ली। दवाईयां आज भी मेरी जिंदगी का हिस्सा है क्योंकि किसी भी ट्रांसप्लाट के बाद आपको ताऊम्र दवाईयां लेनी पड़ती हैं। ट्रांसप्लांट के बाद एक्सरसाइज मुश्किल नहीं थी पर बिना स्टेरोएड बॉडी बनाना चैलेजिंग था। जितनी भी बॉडी मैंने बनाई है वह बिना ऑर्टीफिशयल सप्लीमेंट्स के बनाई है।
आज जितना वर्कआउट मैं करता हूं शायद किसी नॉर्मल इंसान को करते देखा है। आपका माइंड सैट ही आपकी जिंदगी बदल सकता है? दिग्विजय अब जल्द ही इस साल होने वाले ट्रांसप्लांट पर्सन के लिए होने वाले ऑलम्पिक्स में हिस्सा लेने वाले हैं।