चंडीगढ़ हैल्थ विभाग बड़े अस्पतालों से भीड़ कम करने के लिए पी.जी.आई के साथ मिलकर टेलीमैडीसन को बढ़ावा दे रहा है। इसके लिए विभाग शहर में 4 जगहों पर ई-हैल्थ सैंटर क्लीनिक खोलने वाला है। पहला ई हैल्थ सैंटर धनास में बनकर तैयार हो गया है। पी.जी.आई. टैलीमैडीसन विभाग के सहयोग से यह सारा सैटअप तैयार करवाया गया है। पी.जी.आई. टेलीमैडीसन की हैड डा. मीनू सिंह व डा. अमित अग्रवाल, डा. अनिल चौहान, पंकज पंत और मुनीष कुमार के नेतृत्व में इस इ-हैल्थ सैंटर का निर्माण किया गया है। पिछले एक वर्ष से इस ई-हैल्थ सैंटर पर काम किया जा रहा था।
विभाग शहर में 4 जगहों पर ई हैल्थ क्लीनिक खोलेने वाला है जिसमें से पहला क्लीनिक धनास डिस्पैंसरी में खोला गया है। वहीं, जी.एम.एस.एच. सैक्टर-16 अस्पताल में सभी सैंटर्स का इंटरलिंक होगा। इस स्टूडियो के जरिए ही बड़े अस्पतालों से संपर्क साधा जाएगा। धनास के अलावा डड्डूमाजरा, बहलाना, सैक्टर-35 की डिस्पैंसरी में इसका सैटअप का काम जारी है। इनमें अलग-अलग दिन में डाक्टरों की ड्यूटी लगाई जाएगी। वहीं, इनमें एक ई-हैल्थ किट का इस्तेमाल किया जाएगा। इसमें टैस्टिंग मशीन, जिससे ब्लड, ई.सी.जी, अस्थमा, होमोग्लोबिन व अन्य ब्लड टैस्ट होंगे।
पी.जी.आई के टेली मैडीसन सैंटर से जुड़ेंगे
पी.जी.आई, जी.एम.सी.एच. 32 और जी.एम.एस.एच.-16 जैसे अस्पतालों में मरीजों की भीड़ कम करने के लिए ही ई-हैल्थ क्लीनिक पर काम किया जा रहा। ये सभी क्लीनिक पी.जी.आई. के टेली मैडीसन सैंटर से जुड़े रहेंगे। इ-हैल्थ क्लीनिक प्राइवेट कंपनी की ओर से मुहैया करवाए जा रहे हैं। इसमें कंप्यूटर, डॉक्टर, टैक्नोलाजिस्ट होंगे, जो मरीज का प्राथमिक उपचार करेंगे। उसके जरूरी टैस्ट भी उसी जगह हो जाएंगे।
यदि उसे रैफर करना होगा तो उसकी रिपोर्ट पी.जी.आई. के टेली मैडीसन सैंटर भेज दी जाएगी और इसकी जानकारी सैंटर में बैठे डाक्टर को दे दी जाएगी। रिपोर्ट देखने के बाद डाक्टर ई हैल्थ क्लीनिक में बैठे डाक्टर को दवा व इलाज के अन्य कारकों के बारे में जानकारी देगा। इससे साथ ही मरीज बड़े अस्पतालों में रैफर नहीं करने पड़ेंगे।
क्या है टेली मैडीसन
टेली मैडीसन मरीज की मैडीकल इंर्फोमेशन को ऑडियो, वीडियो, टैक्स्ट और तस्वीरों के जरिए एक लोकेशन से दूसरी लोकेशन पर भेजना है, जिसमें कई अस्पतालों और क्लीनिक्स को आपस में जोड़ दिया जाता है। इसमें मरीज की सारी मैडीकल हिस्ट्री टेली मैडीसन के जरिए बड़े अस्पतालों में भेज दी जाती है। इससे मरीज को दूर बैठे ही एक्सपर्ट डाक्टरों से इलाज मिल जाता है, ऐसे में मरीज को रैफर नहीं करना पड़ता।