नवंबर से रॉक गार्डन में फ्लैप सिस्टम से होगी एंट्री

एंट्रीबलवान करिवाल, चंडीगढ़ : रॉक गार्डन की एंट्री और एग्जिट प्वाइंट पर फ्लैप बैरियर लगाने की तैया

बलवान करिवाल, चंडीगढ़ : रॉक गार्डन की एंट्री और एग्जिट प्वाइंट पर फ्लैप बैरियर लगाने की तैयारी हो गई है। फ्लैप बैरियर मशीनें खरीद भी ली गई हैं। इन मशीनों को एंट्री और एग्जिट प्वाइंट पर फिट भी कर दिया गया है। बस लाइट बैकअप का इंतजाम होते ही इनको शुरू कर दिया जाएगा। अभी एंट्री गेट पर बिजली बैकअप का इंतजाम नहीं है। बैकअप नहीं होने से बिजली जाने पर मशीन काम नहीं करेगी। जिस कारण एंट्री और एग्जिट में दिक्कत आएगी। प्रशासन के अधिकारियों का कहना है कि नवंबर के पहले सप्ताह में इसकी व्यवस्था कर ली जाएगी। जिसके बाद फ्लैट बैरियर से एंट्री शुरू कर दी जाएगी।

ऑटो मोड से टोकन के जरिए होगी एंट्री

अभी रॉक गार्डन में पर्यटकों की एंट्री मेनुअल तौर पर टिकट चेक करने के बाद होती है। जिस कारण कई बार बहुत से लोग ग्रुप में बिना टिकट के भी दाखिल हो जाते हैं। साथ ही आने जाने वालों का पूरा रिकॉर्ड भी नहीं रहता। लेकिन फ्लैप बैरियर लगते ही पूरा सिस्टम ऑटो मोड पर आ जाएगा। मेट्रो की तर्ज पर पर्यटकों को एंट्री के लिए टोकन मुहैया कराया जाएगा। जिसे फ्लैप बैरियर पर छूने के बाद एंट्री होगी और आखिर में एग्जिट प्वाइंट पर टोकन को मशीन में डालकर ही बाहर निकला जा सकेगा। इस सिस्टम से रॉक गार्डन में हर एक व्यक्ति की संख्या का पता होगा। कोई भी बिना टोकन एंट्री नहीं कर सकेगा। फिर चाहे वह किसी का जानकार ही क्यों न हो। रोजाना आने वाले पर्यटकों की जानकारी भी रहेगी।

नेकचंद सैनी की अनोखी कला का नमूना है रॉक गार्डन

नेकचंद सैनी ने प्रशासन से छुपते छुपाते रॉक गार्डन बनाने की शुरुआत की थी। वह अपने साइकिल पर पहाड़ी एरिया में सूखी नदियों से पत्थर ढोकर लाते थे। घर की टूटी क्राकरी, चूडि़यां, टॉयलेट शीट और टाइलों की मदद से उन्होंने वेस्ट से बेस्ट की अनोखा नजराना शहर को दिया। जिसकी बदौलत चंडीगढ़ को विश्व पटल पर अलग पहचान मिली। 20 दिन पहले सर्बिया के म्यूजियम में भी नेकचंद के बनाए स्कलप्चर लगाए गए हैं। यही कारण है कि रोजाना देश विदेश से 30 हजार से अधिक पर्यटक रॉक गार्डन देखने पहुंचते हैं।

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