पिछले महीने मलोट रैली के दौरान शिरोमणि अकाली दल के प्रधान सुखबीर बादल और भाजपा प्रदेश अध्यक्ष श्वेत मलिक द्वारा प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी को पगड़ी पहनाने और उनके द्वारा तुरंत ही इसे उतार देने का मामला अब श्री अकाल तख्त के समक्ष पहुंच गया है। एक अमृतधारी सिख ने उस घटना को सिखों की पगड़ी का अपमान करार देते हुए श्री अकाल तख्त के जत्थेदार से मांग की गई है कि सियासी समारोहों में बंधी हुई पगड़ी किसी के भी सिर पर रखकर उसका अपमान न किया जाए। इस परंपरा पर तुरंत रोक लगाई जाए।
बठिंडा निवासी यशप्रीत सिंह ने श्री अकाल तख्त के जत्थेदार को पत्र लिखकर कहा है कि केंद्र या अन्य राज्यों से आने वाले सियासी नेताओं या विदेश से आने वाले गणमान्य व्यक्तियों के सिर पर ‘बंधी हुई टोपीनुमा’ पगड़ी रख दी जाती है। इसे सिखों की पगड़ी का नाम दिया जाता है। इस तरह सियासी मंचों पर पगड़ी का अपमान होता है, जिस पर रोक लगाना बहुत जरूरी है।
इसके साथ ही उन्होंने श्री अकाल तख्त से यह आग्रह भी किया है कि अगर कोई व्यक्ति पगड़ी सिर पर सजाना चाहता है, तो सियासी मंचों पर भी पांच मिनट का समय निकालकर पूरे आदर के साथ इसे सजाया जाना चाहिए। इसी तरह किसी व्यक्ति को सिरोपा साहिब भेंट करते समय भी यह यकीनी बनाया जाए कि संबंधित व्यक्ति गुटखा या धूम्रपान का आदी तो नहीं है। इस पत्र के संबंध में श्री अकाल तख्त साहिब के जत्थेदार ज्ञानी गुरबचन सिंह से संपर्क करना चाहा लेकिन वे देर रात तक किसी सभा में व्यस्त थे।
यह हुआ था मलोट में
मलोट रैली में मंच पर पूर्व मुख्यमंत्री प्रकाश सिंह बादल, सुखबीर सिंह बादल और हरसिमरत कौर की मौजूदगी में श्वेत मलिक बंधी हुई पगड़ी लेकर आए और उन्होंने उसे प्रधानमंत्री मोदी के सिर पर रख दिया। मोदी के सिर पर ठीक से पगड़ी नहीं आने पर सुखबीर बादल आगे बढ़े और उन्होंने प्रधानमंत्री के सिर पर पगड़ी सजाने की कोशिश की। इस बीच प्रधानमंत्री ने तुरंत ही पगड़ी उताकर पीछे खड़े एक व्यक्ति को सौंप दी।