चंडीगढ़ ट्रांसपोर्ट अंडरटेकिंग (सी.टी.यू.) अपने नए प्रोजैक्ट के तहत अब प्राइवेटाइजेशन की राह पर चल पड़ा है। इसके तहत शहर में पहली बार पब्लिक ट्रांसपोर्ट के लिए प्राइवेट कांट्रैक्टर की मदद ली जा रही है।
सी.टी.यू. की ओर से इस साल जनवरी में पहली बार छह वोल्वो बसों को चलाने के लिए टैंडर जारी किया गया था, जिस पर अब सवाल उठने लगे हैं। क्योंकि यह बसें चलेंगी तो सी.टी.यू. के नाम पर लेकिन चंडीगढ़ प्रशासन द्वारा इनका किराया दिया जाएगा। दरअसल, ऐसा शहर में पहली बार हो रहा है कि बसों को भी आऊटसोर्स के जरिए चलाने का फैसला लिया गया हो।
सूत्रों की मानें तो ऐसा करके प्रशासन ने 1971 के रीऑर्गेनाइजेशन एक्ट का भी उल्लंघन किया है, जिसमें साफ तौर से कहा गया है कि पब्लिक ट्रांसपोर्ट को प्राइवेट हाथों में नहीं दिया जा सकता है। यही वजह है कि अब कुछ कर्मचारी संगठन प्रशासन के इस फैसले के खिलाफ आवाज उठाने की तैयारी में हैं।
क्योंकि इससे सीधे तौर पर सी.टी.यू. में प्राइवेट सैक्टर का प्रवेश हो जाएगा। यही नहीं, सी.टी.यू. के लिए यह बसें चलाना महंगा सौदा भी होगा। सूत्रों की मानें तो एक बस के लिए लगभग 20000 रुपए रोजाना किराया देना पड़ सकता है, फिर चाहे यह बसें इतना रैवेन्यू कमा कर दें या न दें।
सी.टी.यू. का होगा कंडक्टर :
सुपर लग्जरी बस को चलाने के लिए ड्राइवर की सुविधा भी कंपनी द्वारा ही दी जाएगी। हालांकि सी.टी.यू. की ओर से हरेक बस में अपना एक कंडक्टर रखा जाएगा।
अभी तक सी.टी.यू. द्वारा यह तय नहीं किया गया है कि बसों का किराया कितना होगा, लेकिन उम्मीद जताई जा रही है कि इस समय चल रही ए.सी. बसों से अधिक किराया प्रशासन द्वारा वसूल किया जाएगा। ए.सी. बसों का किराया शुरुआती 3 किलोमीटर के लिए 10 रुपए वसूल किया जा रहा है।