पंजाब के मुख्यमंत्री कैप्टन अमरिंदर सिंह ने पंजाब यूनिवर्सिटी के मौजूदा स्टेटस में किसी भी तब्दीली से साफ इंकार करते हुए कहा है कि उनकी सरकार आपसी विचार विमर्श के जरिये यूनिवर्सिटी का अनुदान बढ़ाने को तैयार है। उन्होंने केन्द्रीय गृह मंत्री राजनाथ सिंह को लिखे एक पत्र में कहा है कि पंजाब तथा हरियाणा हाईकोर्ट में चल रही कार्यवाही का हरियाणा सरकार फ़ायदा नहीं उठा सकती। वित्तीय स्रोतों की अस्थाई समस्या और संवैधानिक दावेदारों का संकल्प हरियाणा सरकार को पहले वाली स्थिति के लिए लौटने की इजाज़त नहीं देता।
हरियाणा सरकार का प्रस्ताव तर्कपूर्ण नहीं
मुख्यमंत्री ने कहा कि पंजाब यूनिवर्सिटी में अपना हिस्सा मांगने का हरियाणा सरकार का प्रस्ताव ऐतिहासिक, तर्कपूर्ण, विवेकशील और सांस्कृतिक तौर पर दुरुस्त नहीं है। पंजाब पुनर्गठन एक्ट, 1966 की धारा 72 की उप-धारा) के अनुसार पंजाब, हरियाणा, हिमाचल प्रदेश और चंडीगढ़ प्रशासन की हिस्सेदारी थी और इसके अनुसार इनके जरिये अनुदान की कमी का भुगतान किया जाता था।उन्होंने कहा कि हरियाणा और हिमाचल प्रदेश ने इस हिस्सेदारी वाले प्रबंध में से अपने आप को बाहर निकालने का फ़ैसला किया था।
हरियाणा सरकार ने अपने कालेजों की पंजाब यूनिवर्सिटी के साथ ऐफीलिएशन वापस ले ली थी और इन कॉलेजों को हरियाणा राज्य में दूसरे यूनिवर्सिटियों में तब्दील कर दिया था। हरियाणा सरकार का यह फ़ैसला एकतरफ़ा और बिना शर्त था। भारत सरकार ने अपने नोटीफिकेशन तारीख़ 27 अक्तूबर, 1997 के अनुसार पंजाब यूनिवर्सिटी की विभिन्न गवर्निंग बॉडीज में हरियाणा की प्रतिनिधिता को ख़त्म कर दिया। उन्होंने कहा कि उपरोक्त हालत के मद्देनजऱ पंजाब सरकार का दृढ़ विचार है कि इस यूनिवर्सिटी के चरित्र और अवस्था में कोई भी बदलाव मंजूर नहीं किया जायेगा ।
पंजाब यूनिवर्सिटी ने शुरूआत से ही लगातार पंजाब राज्य में कार्य किया है
मुख्यमंत्री ने कहा कि पंजाब यूनिवर्सिटी ने शुरूआत से ही लगातार पंजाब राज्य में कार्य किया है। इसको उस समय की पंजाब की राजधानी लाहौर से पहले होशियारपुर और बाद में पंजाब की राजधानी चंडीगढ़ लाया गया।इसके साथ पंजाब के 175 कालेज सम्बन्धित हैं जो फाजिल्का फिऱोज़पुर, होशियारपुर, लुधियाना, मोगा, श्री मुक्तसर साहिब और एस.बी.एस. नगर में हैं । पंजाब यूनिवर्सिटी का क्षेत्र चंडीगढ़ केंद्र शासित प्रदेश में भी पड़ता है ।