पीयू में फीस बढ़ोतरी से छात्र संगठन भड़के, वीसी का पुतला जलाया
पंजाब यूनिवर्सिटी की ओर से विभिन्न कोर्सों की फीस बढ़ाए जाने से छात्र संगठनों में खासी नाराजगी है। फैसले के अगले ही दिन सोमवार को स्टूडेंट्स यूनियन सड़कों पर उतर आई। कई छात्र संगठनों ने इसके खिलाफ आंदोलन छेड़ने की चेतावनी दी है।
सोमवार को स्टूडेंट्स फॉर सोसायटी (एसएफएस) ने इस फैसले का कड़ा विरोध करते हुए रोष मार्च निकाला। एसएफएस ने स्टूडेंट सेंटर पर पीयू के वीसी का पुतला भी जलाया। एसएफएस के अध्यक्ष दमनप्रीत ने कहा कि पीयू के इतिहास में यह सबसे शर्मनाक फैसला है। पीयू प्रशासन लगातार केंद्र सरकार की कठपुतली की तरह काम करते हुए उच्च शिक्षा का निजीकरण करने में लगा है। सौ से अधिक स्टूडेंट्स ने आर्ट ब्लॉक से रोष मार्च निकालना शुरू किया। दमन ने कहा कि रणनीति के तहत आगे भी इस मुद्दे पर वह संघर्ष कड़ा करेंगे।
दूसरे विकल्पों से जुटाया जाए रेवेन्यू
पीयू कैंपस स्टूडेंट काउंसिल के प्रेसिडेंट निशांत कौशल ने कहा कि वह फीस बढ़ोत्तरी का शुरू से विरोध करते रहे हैं। लेकिन स्टूडेंट काउंसिल अथॉरिटी नहीं है वह केवल अपने सुझाव ही पीयू अथॉरिटी को दे सकते हैं। कई सुझाव दिए हैं जिनसे रेवेन्यू जुटेगा और फीस बढ़ाने की जरूरत नहीं होगी। कैंपस की सभी बिल्डिंग की छतों और खाली जगह पर सोलर पॉवर प्लांट लगाए जाने चाहिए। इससे कैंपस का बिजली बिल का खर्च कम होगा। पीयू के तहत आने वाले कॉलेजों की बिल्डिंग में शाम के समय प्राइवेट इंस्टीट्यूट को अपनी कक्षाएं लगाने के लिए किराए पर दी जा सकती हैं।
सीनेेट-सिंडीकेट और दूसरी मीटिंग में टीए, डीए, मेहमाननवाजी पर काफी खर्चा होता है। इस तरह के गैरजरूरी खर्चे को कम किया जा सकता है। पीयू अथॉरिटी को गैरजरूरी कंस्ट्रक्शन से बचना चाहिए। साथ ही ऐसे डिपार्टमेंट जिनके कोर्सेज का कोई स्कोप ही नहीं है। उन्हें बंद कर बड़े खर्चे को कम किया जा सकता है। री-इंप्लाइमेंट की बजाए शिक्षक को सेवानिवृत होने पर समाज हित में बिना सेलरी के लालच में पढ़ाना चाहिए। दशकों से जो संस्थान उसकी रोजी-रोटी चला रहा था उसे भी संस्थान की माली हालत में काम आना चाहिए। निशंात ने कहा कि कहा कि केंद्र सरकार यूनिवर्सिटी को पैसा नहीं दे रही। केंद्र सरकार को फंड देना चाहिए।