गत दिवस तेज आंधी से सूखा पेड़ गिरने से हुई एक व्यक्ति की मौत के बाद शनिवार को नगर निगम को भी उस सर्वे की याद आ गई जिसमें शहर में सूखे व खतरनाक हो चुके पेड़ों की गिनती करवाई गई थी। निगम व प्रशासन ने इन्हें गिराने की व्यापक योजना भी बनाई थी पर वह कुछ समय तक चली व फिर बंद हो गई।
कल शाम तेज अंधड़ से बारिश में शहर के विभिन्न भागों में टूटकर गिरे हुए पेड़ों और टहनियों को हटा दिया पर आज सुबह ही मेयर देवेश मोदगिल ने इस संबंध में आपात बैठक बुला ली। उन्होंने ने निगम के बागवानी विभाग के इंजीनियरों और उनके सहायक स्टाफ को बुलाकर पूरे शहर से गिरे हुए पेड़ों को हटाने का आदेश दिया।
उन्होंने ऐसे पेड़ों को तत्काल हटाए जाने की हिदायत दी जो कि मानव जीवन के लिए खतरनाक बने हुए हैं। उन्होंने कहा कि मानसून शुरू होने के पहले यह कार्रवाई हो जानी जरूरी है। मेयर ने विभाग के इंजीनियरों से सोमवार 4 जून को इस संबंध में विस्तृत रिपोर्ट भी तलब कर ली है।
निगम ने पिछले साल करवाया था सर्वे
निगम ने गत वर्ष अप्रैल माह में सूखे पेड़ों का व्यापक सर्वे करवाया था। उस सर्वे के अनुसार शहर में करीब 262 ऐसे सूखे पेड़ हैं जो सार्वजनिक स्थानों पर हैं व लोगों के लिए खतरा बने हैं। निगम ने इन्हें काटने की अनुमति प्रशासन से मांगी पर अभी तक उसे केवल 40 ऐसे पेड़ काटने की अनुमति मिली है।
इनमें से सबसे अधिक खतरनाक हो चुके पेड़ सैक्टर-37 में हैं। निगम की सर्वे रिपोर्ट के अनुसार उसके क्षेत्र में लगभग 1,25,000 हरे पेड़ हैं। इसके साथ ही 1029 सूखे पेड़ हैं व इनमें से 262 लोगों के लिए खतरनाक हैं। सभी प्रकार के पेड़ों को मिलाकर निगम की भूमि पर लगभग 1,65,597 पेड़ हैं।
यहां हैं सूखे और खतरा बने पेड़
प्रशासन के आंकड़ों के अनुसार शहर में उत्तर मार्ग, जन मार्ग और मध्य मार्ग पर 88 ऐसे पेड़ हैं, जबकि 49 मृत और खतरनाक पेड़ दक्षिण मार्ग और सैक्टर-25 में हैं। दूसरी ओर निगम के सर्वे के अनुसार उसके क्षेत्र में करीब 262 ऐसे सूखे पेड़ हैं जो सार्वजनिक स्थानों पर हैं व लोगों के लिए खतरा बने हैं।
इनमें से सबसे अधिक खतरनाक हो चुके पेड़ सैक्टर-37 में हैं। सर्वे के अनुसार प्रमुख पार्कों में सबसे अधिक सूखे पेड़ हैं। चंडीगढ़ में पर्यटकों के लिए आकर्षण के केंद्र के रूप में प्रचलित किए गए सैक्टर-1 के राजिंद्रा गार्डन में सबसे अधिक 75 सूखे पेड़ हैं।
शहर में 615 मृत पेड़
प्रशासन के आधिकारिक आंकड़ों के अनुसार, शहर में कुल 615 मृत पेड़ हैं। इनमें से 108 प्रजातियां नीलगिरी, सिल्वर ओक, लोकप्रिय, चकरासिया, शिशम, किकर, कैसिया, नीम, डेक, एन्टरबॉबियम, अमाल्टास, कनार, पापारी, अर्जुन, एन्तोपबिया, आम, टुन, शिशबुल, गुलाबी कासिया, अशोक पंडुला, बोतल पाम और थुजा कॉम्पेक्टा हैं। कुछ माह पूर्व हाईकोर्ट के निर्देश के बाद चंडीगढ़ प्रशासन ने इन्हें पहले चरण में हटाने का काम शुरू हुआ था। प्रशासन ने इसके लिए निविदाएं आमंत्रित की थीं।
निगमायुक्त को मिला अधिकार
प्रशासन ने कुछ माह पूर्व सूखे व खतरनाक पेड़ों को हटाने का काम अविलंब करने के उद्देश्य से इसके आदेश देने के अधिकार निगमायुक्त और मुख्य संरक्षक व प्रशासन के मुख्य अभियंता को भी दिए थे। पहले यह अधिकार केवल प्रशासक के सलाहकार के पास साथ था।
वन और वन्यजीव विभाग द्वारा तैयार की गई नीति के अनुसार, मृत और शुष्क पेड़ों को हटाने के लिए, दो अधिकारी, एस.डी.ओ. (प्रशासन और निगम) और वन रेंज अधिकारी को प्रमाणित करना होगा कि संबंधित पेड़ मानव के लिए खतरा बन गया है।