रेप पीड़िता को गर्भपात की अनुमति से हाईकोर्ट का इनकार
पंजाब-हरियाणा हाईकोर्ट ने पीजीआई चंडीगढ़ की रिपोर्ट के आधार पर पलवल की रेप पीड़िता को गर्भपात की इजाजत देने से इंकार कर दिया है। हाईकोर्ट के आदेश पर वीरवार को पीजीआई के डाक्टरों के पैनल द्वारा तैयार की गई रिपोर्ट कोर्ट में पेश की गई।
रिपोर्ट में कहा गया कि महिला के गर्भ में मौजूद भ्रुण तय सीमा से ज्यादा बड़ा हो चुका है, इसलिए गर्भपात कराना उचित नही है और यदि अब गर्भपात किया गया तो महिला की जान को खतरा हो सकता है।
इस रिपोर्ट के बाद बेंच ने महिला को गर्भपात की इजाजत देने से इंकार करते हुए याचिका का निपटारा कर दिया। इसके साथ हाईकोर्ट ने महिला को छूट दी कि वो चाहे तो बच्चे के पालन पोषण व मुआवजा के लिए अलग से याचिका दायर कर सकती है।
पलवल निवासी महिला की याचिका पर सोमवार को सुनवाई करते हुए हाईकोर्ट ने इस बाबत पीजीआई चंडीगढ़ से राय मांगी थी। इस पर पीजीआई के दो स्त्री रोग विशेषज्ञों ने कोर्ट में दी अपनी रिपोर्ट में कहा था कि महिला का भ्रुण 25 सप्ताह का हो चुका है और उसकी हालत नाजुक है। रिपोर्ट के अनुसार एमटीपी एक्ट के तहत इस स्थिति में गर्भपात करने की संभावना बहुत की सीमित है।
डाक्टरों ने रिपोर्ट में बताया कि इस स्थिति में इस महिला को नियमित जांच व देखरेख की जरूरत है। डाक्टरों की रिपोर्ट पर हाईकोर्ट ने कहा था कि जब यह याचिका दायर की गई थी उस समय भ्रुण 20 सप्ताह का बताया गया था लेकिन यह 25 सप्ताह का है।
ऐसे में जिन डाक्टरों ने इस महिला की पहले जांच की थी वे इस गर्भपात की संभावना पर एक सकारात्मक जांच कर कोर्ट में अपनी रिपोर्ट दे। कोर्ट ने कहा कि जिन डाक्टरों ने पहले पीड़ित महिला की जांच की थी उन्होंने अपनी रिपोर्ट में कोर्ट को ऐसी कोई राय नहीं दी कि अगर गर्भपात करवाया जाता है तो महिला के स्वास्थ्य पर उसका क्या प्रभाव पड़ेगा।