स्वच्छता अभियान में मोहाली का पूरे देश में 121 से 109वां रैंक तो आ गया है। मगर फिर भी मोहाली के अफसरों व मेयर के चेहरे में खुशी की लहर दिखाई नहीं दे रही है। क्योंकि उनकी ओर से काफी ज्यादा मेहनत की गई थी और उन्हें इस रिजल्ट की उम्मीद नहीं थी।
जबकि इससे फिसड्डी शहर आगे निकले गए हैं। इससे जहां इलाके लोगों व अफसरों में निराशा है। भले ही इस रैकिंग को लेकर अफसर सीधे स्थानीय निकाय विभाग के बारे में कुछ नहीं बोल रहे हैं। लेकिन जानकारों की माने तो रैकिंग गिरने की सबसे बड़ी वजह स्थानीय निकाय विभाग है।
क्योंकि उक्त प्रोजैक्ट के लिए नगर निगम ने जो भी प्रस्ताव कर भेजे थे। उसमें से अधिकतर स्थानीय निकाय विभाग द्वारा लटका दिए गए थे। इतना ही नहीं यह मुद्दा हाऊस की मीटिंग सर्वे शुरू होने के समय भी उठा था। जिसमें कहा गया था कि स्थानीय निकाय विभाग शहर की रैकिंग को गिराने की कोशिश कर रहा है।
आपसी खींचतान हो सकती है वजह :
राज्य में इस समय कांग्रेस की सरकार है। जबकि नगर निगम में अकाली-भाजपा का कब्जा है। ऐसे में स्थानीय निकाय विभाग व मोहाली नगर निगम में संबंध ज्यादा बढिय़ा नहीं है। प्रूनिंग मशीन विवाद से दोनों में दूरियां ज्यादा बढ़ गई हैं।
स्वच्छता सर्वे में सॉलिड बेस्ट मैनेजमैंट से लेकर लोगों के फीडबैैक सिस्टम तक के नंबर तय किए गए थे। लेकिन अभी तक न तो सॉलिड बेस्ट मैनेजमैंट प्लांट लगाने की बात पूरी हो पाई और न ही अन्य काम पूरे किए गए है। जिनमें स्वच्छता सर्वे की रैकिंग में शामिल पब्लिक टॉयलेट से लेकर स्मार्ट डस्टबिन की योजना भी अधर में रह गई थी।