स्वस्थ्य प्रेग्नेंट के मुकाबले दस साल की बच्ची में दोगुने खतरे

स्वस्थ्य प्रेग्नेंट के मुकाबले दस साल की बच्ची में दोगुने खतरे

स्वस्थ्य प्रेग्नेंट के मुकाबले दस साल की बच्ची में दोगुने खतरे

पीजीआई के गाइनेकोलाजिस्ट मानते हैं कि दस साल की बच्ची के लिए नार्मल डिलीवरी भी संभव नहीं है। एक स्वस्थ प्रेग्नेंट महिला को डिलीवरी के दौरान जितने खतरे होते हैं, उससे कहीं ज्यादा खतरे दस साल की बच्ची को हैं।

एक आंकड़े के मुताबिक भारत में बच्चे को जन्म देते वक्त हर साल 40 हजार से ज्यादा महिलाओं की मौत होती है। यह खतरा उस समय और बढ़ जाता है जब बच्चे को जन्म देने वाली मां की उम्र मात्र दस साल हो।

डिलीवरी के वक्त बच्चे को आगे बढ़ाने के लिए बच्ची के पैल्विक (पेडू) हड्डियां मजबूत नहीं होती है। बच्ची के हार्मोन विकसित न होने के कारण इस उम्र में लेबर पेन नहीं होता। इस हिसाब से सीजेरियन कराना ही सबसे सुरक्षित विकल्प है।

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