हाईकोर्ट ने प्रशासन से कहा कि वे देखें कि क्या ड्रेनेज सिस्टम को सुखना से जोड़ा जा सकता
सुखना लेक को बचाने के लिए हाईकोर्ट की ओर से लिए गए संज्ञान मामले में मंगलवार को सुनवाई के दौरान अदालत ने सुखना में पानी के लिए इस्रालय की तकनीक के विकल्प को अपनाने की सलाह दी है। हाईकोर्ट ने यूटी प्रशासन और केंद्र सरकार को निर्देश दिए हैं कि वे अगली सुनवाई से पहले इस्रालय दूतावास से इन तकनीकों पर बात करें और इन्हें अपनाने का प्रयास करें। कोर्ट ने कहा कि यदि पानी ट्रीट करके पीने लायक बनाया जा सकता है तो इससे सुखना को भी भरा जा सकता है।
मामले की सुनवाई आरंभ होते ही हाईकोर्ट ने सुखना लेक के लिए अधिकारियों की बैठक के परिणाम के बारे में पूछा। इस पर कोर्ट को चंडीगढ़ के सीनियर स्टैंडिंग काउंसिल सुवीर सहगल ने बताया कि जो एक्सपर्ट बैैठक में शामिल हुए थे, उन्होंने पानी रहते सुखना की डी सिल्टिंग को सही नहीं माना है। इस पर कोर्ट ने कहा कि सुखना को सूखने नहीं दे सकते और ऐसे में एक बार फिर से इस पर विचार कर कोर्ट में इस बारे में हलफनामा दाखिल किया जाए। इस दौरान बीते दिनों हुई बारिश का जिक्र करते हुए हाईकोर्ट ने कहा कि इस दौरान सड़कों पर बारिश का पानी मुसीबत का सबब बना था और डिवाइडर तक दिखाई नहीं दे रहे थे। एक कमी के चलते प्रशासन साइट प्लान को मंजूरी नहीं देता है और उसकी कमी के कारण शहर तालाब में बदल जाए वो प्रशासन को मंजूर होता है।
हाईकोर्ट ने प्रशासन से कहा कि वे देखें कि क्या ड्रेनेज सिस्टम को सुखना से जोड़ा जा सकता है। सुखना को केवल कैचमेंट एरिया की बरसात के भरोसे नहीं छोड़ सकते हैं इसके लिए कुछ और वैकल्पिक व्यवस्था जरूरी है। इस दौरान बताया गया कि लेक ऊंचाई पर है और वहां से ढलान शुरू होती है। इस पर सुझाव दिया गया कि इस पानी को एक स्थान पर एकत्रित कर उसे सुखना में पंप किया जा सकता है। अगली सुनवाई पर इस बारे में भी प्रशासन को पक्ष रखना होगा।